लागू रहता है सालाना ब्याज
आप जब नो-कॉस्ट ईएमआई का विकल्प चुनते हैं तो किस्त भुगतान पर कोई अतिरिक्त ब्याज नहीं लिया जाता है। हालांकि, विक्रेता की ओर से ब्याज माफ नहीं किया जाता है, बल्कि छूट के रूप में पेश किया जाता है। इसके अलावा, कर्जदाता की ओर से वार्षिक ब्याज दर लागू रहती है, जिसका वहन विक्रेता करता है। इसलिए, बिना ब्याज के होने के बावजूद अन्य खर्च और शर्तें हैं, जिनके बारे में नो-कॉस्ट ईएमआई का विकल्प चुनते समय पता होना जरूरी है।समझें नो-कॉस्ट ईएमआई का गणित
मान लीजिए आपने 62,000 रुपए का फोन नो-कॉस्ट ईएमआइ पर खरीदाईएमआई अवधि: 09 माह
वार्षिक ब्याज: 16 प्रतिशत (यह ग्राहक के बदले मर्चेंट चुकाते हैं)
ईएमआई राशि: 6,889 रुपए
कुल ब्याज: 3,939 रुपए (यह राशि एक तरह से ग्राहकों को डिस्काउंट के रूप में मिलता है।)
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लगता है यह चार्ज
प्रोसेसिंग फीस: 235 रुपए (18 प्रतिशत जीएसटी शामिल)ब्याज पर 18 प्रतिशत जीएसटी: 709 रुपए
यानी आपको 944 रुपए अतिरिक्त चुकाने होंगे 1.5 प्रतिशत एक्सट्रा चुकाना होगा 62,000 का फोन नो-कॉस्ट ईएमआइ पर लेने पर
नो-कॉस्ट ईएमआई के लाभ
-03 से 12 महीने के आसान किस्त पर भुगतान करने का विकल्प।
-लोन की ब्याज दरें ग्राहकों के बदले व्यापारी या मैन्युफैक्चरर चुकाते हैं
-यह नॉर्मल ईएमआई पर खरीदारी से सस्ता।
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इसके नुकसान
-महंगी चीजें खरीदने को करता है प्रेरित जो अफोर्डेबल नहीं हैं।-यह जीरो कॉस्ट ईएमआई नहीं, इसमें प्रोसेसिंग फीस सहित कई चार्ज और जीएसटी शामिल।