नियम में क्या किया गया बदलाव?
नई अधिसूचना के अनुसार, निजी वाहन मालिकों को प्रतिदिन राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर 20 किलोमीटर तक की यात्रा के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा, बशर्ते उनके वाहन जीएनएसएस से लैस हों। 20 किलोमीटर से अधिक दूरी के लिए, शुल्क यात्रा की गई वास्तविक दूरी के आधार पर लिया जाएगा। अधिसूचना में कहा गया है, “राष्ट्रीय परमिट वाहन के अलावा किसी अन्य यांत्रिक वाहन का चालक, मालिक या प्रभारी व्यक्ति जो राष्ट्रीय राजमार्ग, स्थायी पुल, बाईपास या सुरंग के समान खंड का उपयोग करता है, उसे ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम आधारित उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह प्रणाली के तहत एक दिन में प्रत्येक दिशा में 20 किलोमीटर की यात्रा तक शून्य-उपयोगकर्ता शुल्क लगाया जाएगा।”
पहले किया गया टेस्ट ट्राइल
सड़क मंत्रालय ने पहले मौजूदा फास्टैग प्रणाली के साथ-साथ एक पायलट परियोजना के रूप में जीएनएसएस-आधारित टोल संग्रह प्रणाली शुरू करने की घोषणा की थी। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि इस प्रणाली के लिए कर्नाटक में NH-275 के बेंगलुरु-मैसूर खंड और हरियाणा में NH-709 के पानीपत-हिसार खंड पर एक पायलट अध्ययन किया गया है। गडकरी ने यह भी बताया कि 25 जून, 2024 को एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला के माध्यम से हितधारकों के साथ परामर्श किया गया था और 7 जून, 2024 को एक अंतर्राष्ट्रीय अभिरुचि अभिव्यक्ति (EOI) आमंत्रित की गई थी, जिसके लिए 22 जुलाई, 2024 तक आवेदन प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि निर्धारित की गई थी।