क्या होता है एनसीडी
कंपनियां पैसा जुटाने के लिए आइपीओ की तरह ही एनसीडी जारी करती हैं, पर इनमें निवेशकों को एक तय दर से ब्याज मिलता है। एनसीडी तय अवधि में मैच्योर होती है। एनसीडी की मैच्योरिटी अवधि एक साल से 10 साल तक है। सभी एनसीडी एक्सचेंज पर लिस्ट होती हैं। इसमें मासिक, तिमाही, छमाही, सालाना या मैच्योरिटी पर निवेशकों को ब्याज मिलता है और मैच्योरिटी पर निवेश राशि वापस मिलती है। इसे डीमैट फॉर्मैट में भी ले सकते हैं। इस डिबेंचर को इक्विटी में नहीं बदला जा सकता है।
अधिक रिटर्न वाले टॉप रेटेड एनसीडी
एनसीडी कूपन रेट वाईटीएम
इंडियाबुल्स कमर्शियल क्रेडिट 8.84 प्रतिशत 10.64 प्रतिशत
इंडिया इंफोलाइन फाइनेंस 10.0 प्रतिशत 9.31 प्रतिशत
श्रीराम ट्रासपोर्ट फाइनेंस 9.50 प्रतिशत 9.03 प्रतिशत
जेएम फाइनेंशियल क्रेडिट 9.75 प्रतिशत 8.84 प्रतिशत
एमएंडएम फाइनेंशियल सर्विस 9.0 प्रतिशत 8.12 प्रतिशत
टाटा कैपिटल हाउसिंग फाइनेंस 8.40 प्रतिशत 8.0 प्रतिशत
(वाईटीएम: मैच्योरिटी तक होल्ड करने पर मिलने वाला रिटर्न)
एनसीडी के फायदे
– डीमैट में रखे एनसीडी को मैच्योरिटी से पहले कभी भी बेच सकते हैं, क्योंकि शेयर बाजार में इक्विटी शेयरों की तरह होती है इनकी ट्रेडिंग।
– एनसीडी को डीमैट फॉर्मैट में लेने पर मिलने वाले ब्याज पर नहीं कटता है किसी तरह का टीडीएस
– मैच्योरिटी से पहले बेचने पर नहीं लगती है किसी तरह की पेनल्टी, जबकि एफडी के प्री-मैच्योर विड्रॉअल पर लगता है जुर्माना।
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यह है जोखिम
– सिक्योर्ड एनसीडी में डिफॉल्ट का खतरा नहीं होता। इसमें कंपनी की सिक्योरिटी होती है, पर अनसिक्योर्ड एनसीडी में डिफॉल्ट का रिस्क होता है।
— एनसीडी में बैंक एफडी और अन्य बचत योजनाओं के साथ लगभग सभी डेट सिक्योरिटीज से अधिक ब्याज मिलता है, पर इनमें रिस्क भी अधिक है।
– एनसीडी को इक्विटी शेयर में नहीं बदला जा सकता है, इसलिए इन्हें जारी करने वाली कंपनी के डूबने पर निवेशकों का पैसा डूब जाता है।
इनका रखें ध्यान
– क्रेडिट रिस्क का ध्यान रखें और हमेशा अच्छी रेटिंग याना एएए और एए रेटिंग वाली एनसीडी में ही निवेश करें।
– उन एनसीडी को चुनें जिनका वाईटीएम (यील्ड टू मैच्योरिटी) बेहतर है।
– शेयर बाजार से एनसीडी खरीदते वक्त अधिक लिक्विडिटी वाला डिबेंचर ही खरीदें।