कौन सी है ये नदी
देशभर की सभी नदियां पश्चिम दिशा से पूर्व दिशा की ओर बहती हैं और वह बंगाल की खाड़ी में समाहित हो जाती है। वहीं, नर्मदा नदी पूर्व दिशा से पश्चिम की ओर जाती है और उसका मिलन अरब सागर से होता है। नर्मदा नदी को ‘आकाश की बेटी’ और भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक माना जाता है। इस नदी के साथ प्रेम, विश्वासघात और अकेलेपन की भी कहानी जुड़ी हुई है। माना जाता है की मां नर्मदा अविवाहित हैं। आइए जानते हैं इसके पीछे पौराणिक मान्यताएं।
क्यों कुंवारी है नर्मदा
कथाओं के अनुसार नर्मदा एक सुंदर राजकुमार के रूप में पहचाने जाने वाले सोनभद्र से प्यार करती थीं। नर्मदा और सोनभद्र का सुंदर मिलन होना था, लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था। विवाह से पहले नर्मदा को पता चला कि सोनभद्र उनकी दासी जुहिला को पसंद करते हैं। दोनों प्रेमियों के दिल में गहरी दरार पैदा हो गई। दिल टूटने और धोखा खाने के बाद नर्मदा ने सोनभद्र से दूर अपने पूर्व मंगेतर के व्यक्तित्व के विपरीत पश्चिम की ओर बहने के लिए अपना रास्ता तय करने का फैसला कर लिया था। साथ ही नर्मदा ने आजीवन कुंवारी रहने का फैसला किया। इसीलिए नर्मदा का बहाव उल्टी दिशा में है।
उल्टा बहने का वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिकों का मानना है कि नर्मदा नदी के उल्टे बहने की वजह रिफ्ट वैली है। इसका मतलब है कि नदी के प्रवाह के लिए उसकी ढलान उल्टी दिशा में है। जाहिर सी बात है कि नदी का ढलान जिधर होता है, उसी दिशा में नदी का प्रवाह होता है। नर्मदा भारत के गुजरात और मध्य प्रदेश में बहने वाली एक प्रमुख नदी है।
अनोखी नदी
नर्मदा नदी का बेसिन लगभग 98,796 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करता है और मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात तक फैला हुआ है। ताप्ती, माही, साबरमती, लूनी और कई छोटी नदियां भी पश्चिम की ओर बहती हैं। नर्मदा अरब सागर में गिरने वाली एकमात्र प्रमुख नदी है।
पांचवीं सबसे बड़ी नदी
नर्मदा देश की पांचवीं सबसे बड़ी नदी है। यह 1077 किलोमीटर में फैली हुई है। इस नदी को कुछ स्थानों पर रीवा नदी भी कहा जाता है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में शुमार होने वाला ओंकारेश्वर मंदिर भी नर्मदा नदी की तट पर बना हुआ है। नदियां जिन क्षेत्रों से होकर गुजरती हैं, वहां के भूगोल, अर्थव्यवस्था और संस्कृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यही भूमिका नर्मदा भी निभाती है।