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प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन का 98 साल में निधन, भारत को अनाज के मामले में ऐसे बनाया आत्मनिर्भर

M S Swaminathan : महान कृषि वैज्ञानिक और देश में हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन का गुरुवार को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में 98 साल में निधन हो गया। उन्होंने सुबह 11ः20 बजे अंतिम सांस ली। उनको स्वास्थ्य संबंधी काफी परेशानियां थीं।

Sep 28, 2023 / 02:12 pm

Shaitan Prajapat

M.S. Swaminathan scientist passes away

M.S. Swaminathan scientist passes away

M.S. Swaminathan scientist passes away : हरित क्रांति (ग्रीन रेवोल्यूशन) के जनक और प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन का गुरुवार को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में निधन हो गया है। वे 98 वर्ष के थे। उन्हें उम्र संबंधी कई सारी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां थीं। प्रोफेसर स्वामीनाथन को भारत में गेहूं और चावल की उच्च उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने का श्रेय प्राप्त है।

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भारत को अकाल से बचाने के लिए बोरलॉग के साथ किया था काम
कृषि विभाग में वैज्ञानिक रहे स्वामीनाथन ने 1972 से 1979 तक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष के तौर पर भी काम किया था। भारत को अकाल से बचाने और खाद्यान सुरक्षा दिलाने के लिए उन्होंने अमरीकी वैज्ञानिक नॉर्मन बोरलॉग के साथ 1960 के दशक में काम किया था।

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कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से हुए सम्मानित
एमएस स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का अगुआ माना जाता है। वे पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने सबसे पहले गेहूं की एक बेहतरीन किस्म को पहचाना। इसके कारण भारत में गेहूं उत्पादन में भारी वृद्धि हुई। स्वामीनाथन को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। उनको पद्मश्री (1967), पद्मभूषण (1972), पद्मविभूषण (1989), मैग्सेसे पुरस्कार (1971) और विश्व खाद्य पुरस्कार (1987) महत्वपूर्ण सम्मान मिल चुके हैं।

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कृषकों को आत्मनिर्भर बनाने में बड़ी भूमिका निभाई

स्वामीनाथन ऐसे वैज्ञानिक थे जिन्होंने किसानों को धान, गेंहू की ऐसी किस्म को पैदा करना सिखाया। जाहिर है कि इससे भारतीय किसानों की आय में बढ़ोतरी हुई। उन्होंने गरीब किसानों के खेतों में मेढ़ के किनारे वृक्षों को लगाने की बात बताई। इससे कृषकों की आमदनी में बढ़ोतरी हुई और वे धीरे-धीरे आत्मनिर्भर होते चले गए। हरित क्रांति प्रोजेक्ट के माध्यम से स्वीमानाथ ने कृषि क्षेत्र में बहुत सारे बदलाव किए। उनके प्रयासों के चलते भारत में अकाल के हालात में गुणात्मक सुधार आए।

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