गुजरात सीओओ के मुताबिक, भारतीय नौसेना के 50 जवान के साथ NDRF के 3 दस्ते, भारतीय वायुसेना के 30 जवानों के साथ बचाव और राहत अभियान किया जा रहा है। इनके अलावा सेना के 2 कॉलम और फायर ब्रिगेड की 7 टीमें राजकोट, जामनगर, दीव और सुरेंद्रनगर से उन्नत उपकरणों के साथ मोरबी में आकर मोर्चा संभाले हुई है। इनके साथ इन लोगों ने रेस्क्यू में सहयोग कर रहे है।
गुजरात सरकार ने मोरबी शहर में पुल गिरने की घटना की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। वहीं, ब्रिज मैनेजमेंट कंपनी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज कर लिया है। राज्य के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने सोमवार की सुबह बताया कि इस मामले में आपराधिक केस दर्ज कर लिया गया है। आईजीपी रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में इसकी जांच शुरू कर दी गई है।
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बताया जा रहा है कि पुल की मरम्मत की वजह से बीते छह महीनों से यह बंद था। दिवाली के दूसरे दिन 25 अक्टूबर से इसको जनता के लिए फिर से खोला गया। इसकी मरम्मत में करीब 2 करोड़ रुपए का खर्चा आया था। इस पुल की मेंटिनेंस की जिम्मेदारी वर्तमान में ओधवजी पटेल के स्वामित्व वाले ओरेवा ग्रुप के पास है। इस ग्रुप ने मार्च 2022 से मार्च 2037 यानी 15 साल के लिए मोरबी नगर पालिका के साथ एक समझौता किया था।
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मोरबी में मच्छु नदी पर इस पुल का निर्माण वर्ष 1880 में पूरा हुआ था। इस पुल की लंबाई 765 फीट थी। आसान शब्दों में कहें तो यह पुल 1.25 मीटर चौड़ा और 230 मीटर लंबा था। यह भारत के सबसे पुराने पुलों में से एक था। इस पुल के निर्माण का सारा सामान ब्रिटेन से आया था। करीब 3.5 लाख रुपए की लागत में तैयार हुई पुल का उद्घाटन मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था।