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NBWL: वन्यजीव और परिंदों के आवास के बीच ट्रांसमिशन लाइनों को मंजूरी, इन राज्यों को होगा फायदा

NBWL ने टाइगर कॉरिडोर में राजमार्ग चौड़ीकरण और ट्रांसमिशन लाइन को भी मंजूरी दी।

नई दिल्लीSep 12, 2024 / 11:34 am

Devika Chatraj

NBWL: राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एनबीडब्ल्यूएल) ने कच्छ के छोटे रण और गोवा के मोलेम राष्ट्रीय उद्यान में विवादास्पद 400 केवी की ट्रांसमिशन लाइन सहित मध्य भारत के बाघ गलियारों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मंजूरी दे दी। इसके अलावा बोर्ड ने 12 राज्यों की 121 छोटी-बड़ी परियोजनाओं पर भी विचार विमर्श किया है। हैरानी की बात ये है कि वन्यजीवों के संरक्षण के लिए जिम्मेदार एनबीडब्ल्यूएल अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों में विकास परियोजनाओं का मूल्यांकन करता है। गोवा के भगवान महावीर अभयारण्य और मोलेम राष्ट्रीय उद्यान में वनों की कटाई के खिलाफ विरोध के बावजूद 27 हेक्टेयर वन क्षेत्र में 400 के/वी ट्रांसमिशन लाइन को सशर्त मंजूरी कई सवाल खड़े करती है। हालांकि कर्नाटक की ओर से परियोजना के प्रस्ताव की मंजूरी के बिना काम शुरू नहीं होगा।
फ्लेमिंगो और सारस पर भी संकट है गुजरात में भी कच्छ के छोटे रण में और जंगली गधा अभयारण्य में दो ट्रांसमिशन लाइनों को मंजूरी दी गई है। कच्छ का छोटा रण कई प्रवासी पक्षियों के लिए भारत में प्रवेश बिंदु है। फ्लेमिंगो के अलावा, यह एशियाई होबारा, गिद्ध, सारस और सारस जैसी अन्य संकटग्रस्त पक्षी प्रजातियों के लिए एक महत्वपूर्ण निवास स्थान है। यदि ट्रांसमिशन लाइन को मंजूरी दी जाती है तो इन परिंदों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। पहले ही यहां बिजली लाइनों को अंडरग्राउंड करने की मांग उठती रही है, ताकि खासकर फ्लेमिंगो जैसे परिंदों को कोई नुकसान न पहुंचे।
इसके अलावा सतपुड़ा और मेलघाट टाइगर रिजर्व के बीच बाघ गलियारे में राष्ट्रीय राजमार्ग 46 के चौड़ीकरण को भी स्वीकृति मिली है, जिसमें 101 हेक्टेयर वन भूमि का उपयोग किया जाएगा और पशु मार्गों के निर्माण की शर्त रखी गई है। गोवा में लोग परियोजना के खिलाफ गोवा में ‘मोलेम बचाओ’ के तहत लोग इस परियोजना के खिलाफ हैं, क्योंकि इससे 7,881 पेड़ों की कटाई होगी, जो बाघ, गौर, भालू और अन्य वन्यजीवों का निवास स्थल हैं।सुप्रीम कोर्ट ने भी दिया था। आदेश इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने भी की थी और अप्रैल 2022 में उसने आदेश दिया था कि वनों की कटाई को कम करने के लिए ट्रांसमिशन लाइन को मौजूदा 110 केवी कॉरिडोर लाइन के साथ जोड़ा जाना चाहिए।

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