जनता पार्टी के जन्म के पीछे की कहानी बहुत ही तकलीफदेय है। कहानी की शुरुआत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आपातकाल के फैसले से शुरू हुई। उन्होंने 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक इमरजेंसी लगा दी है। नागरिक स्वतंत्रताओं को समाप्त कर दिया था। और पीएम इंदिरा गांधी ने व्यापक शक्तियां अपने हाथ में ले ली थीं। सभी नेताओं को जेल में डाल दिया था। बस इस बात ने तमाम नेताओं को एकजुट कर एक नया खेमा तैयार कराया।
जनता पार्टी ने पहली बार 1977 में चुनाव लड़ा। और कांग्रेस स्वतंत्र भारत में पहली बार चुनाव में हारी। जनता पार्टी के नेता मोरारजी देसाई ने 298 सीटें जीते। 24 मार्च 1977 को भारत के पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने।
सातवीं लोकसभा के लिए 1980 के चुनाव में इंदिरा गांधी की सत्ता में वापसी हुई। कांग्रेस ने लोकसभा में 353 सीटें जीतीं और जनता पार्टी या बचे हुए गठबंधन को मात्र 31 सीटें मिलीं, जबकि जनता पार्टी सेक्युलर को 41 सीटें मिली थीं। माकपा 37 सीटें जीतने में सफल रही। राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता के लिए 54 सीटें भी जनता दल और लोक दल को नसीब नहीं हुईं।
भाजपा का गठन आठवीं लोकसभा से पहले हुआ। और इसके पहले अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी बने। इस प्रकार जिस तरह जनता पार्टी का गठन हुआ उसी तेजी से कम समय में वह एक ढंग से खत्म ही हो गई।