सरकार ये बिल जल्दबाजी में लेकर आई-BJP
भाजपा नेता ने कहा, “हम विधेयक का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन आप विधेयक जल्दबाजी में क्यों लाए? हम विधेयक को प्रवर समिति को भेजने के लिए कह सकते थे। लेकिन हम दोषियों को सजा दिलाना चाहते हैं। हम सुनना चाहते हैं कि मुख्यमंत्री इस विधेयक के बारे में क्या कहती हैं। हम विधेयक पर मत विभाजन की मांग नहीं करेंगे। लेकिन राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि विधेयक जल्द से जल्द प्रभावी हो।” राज्य के कानून मंत्री मलय घटक ने विधेयक सदन में पेश किया। इसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने विधेयक पर चर्चा के दौरान अपनी राय रखी।
महिला डॉक्टर की हत्या के बाद लाया गया बिल ‘अपराजिता विधेयक’ कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के खिलाफ देशव्यापी विरोध के बीच लाया गया है। विपक्ष के नेता ने अपने भाषण के दौरान इसी तरह के मामलों का जिक्र किया और ऐसे मामलों पर मीडिया रिपोर्ट भी पेश की। हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष बिमान बंदोपाध्याय ने कहा कि इन दस्तावेजों को उनकी प्रामाणिकता की जांच किए बिना स्वीकार नहीं किया जा सकता।
विधेयक के लागू होने में लगेगा लंबा समय जवाब में शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि उन्हें अपने दस्तावेजों की दोबारा जांच कराने में कोई परेशानी नहीं है। वह इस मामले में पूरी तैयारी के साथ आए हैं। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि विधानसभा में विधेयक के आसानी से पारित हो जाने के बावजूद, इसे प्रभावी होने में अभी लंबा समय लगेगा। इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी की जरूरत होगी, क्योंकि इसमें इस संबंध में केंद्रीय कानूनों के कुछ प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव है।