scriptLightning Strike Death: वज्रपात के कहर से सहमा देश का यह राज्य, पिछले 24 घंटे में गई 21 लोगों की जान | lightning strike havoc death raining from sky in bihar 21 people died due to thanka in last 24 hours | Patrika News
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Lightning Strike Death: वज्रपात के कहर से सहमा देश का यह राज्य, पिछले 24 घंटे में गई 21 लोगों की जान

Lightning Strike Death: कई राज्यों में वज्रपात कहर बनकर टूट रही है। पिछले कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में वज्रपात की चपेट में आने से 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जबकि सैकड़ों लोग घायल भी हुए हैं।

नई दिल्लीJul 12, 2024 / 08:04 pm

Paritosh Shahi

Bihar Lightning Death Strike
Lightning Strike Death: बिहार के करीब सभी जिलों में हो रही बारिश से लोगों को गर्मी से राहत मिली है, लेकिन वज्रपात से लोगों की मौत भी हो रही है। पिछले 24 घंटे के दौरान प्रदेश में वज्रपात की चपेट में आने से 21 लोगों की मौत हुई है। इसी बीच, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मृतकों के आश्रितों को चार-चार लाख रुपये अनुग्रह अनुदान देने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक पिछले 24 घंटे में वज्रपात से मधुबनी जिले में छह लोगों की मौत हो गई है। जबकि, औरंगाबाद में चार और पटना में दो लोगों की मौत हुई है। इसके अलावा रोहतास, भोजपुर, जहानाबाद, सारण, कैमूर, गोपालगंज, लखीसराय, मधेपुरा और सुपौल में एक-एक व्यक्ति की मौत वज्रपात से हुई। इन घटनाओं पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है।

वज्रपात का कारण

वज्रपात का बड़ा कारण बिहार के हिमालय की तलहटी के तराई क्षेत्र में होना है। यहां सतह ताप और आद्रता के अलावा इस क्षेत्र की भौगोलिक बनावट भी उच्च बिजली हमलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। सरकार हालांकि वज्रपात के पहले सूचना मिलने को लेकर कई उपाय किए हैं लेकिन अब तक इसमें आशातीत सफलता नहीं मिली है। वज्रपात गिरने का समय मुख्य रूप से मई से लेकर सितंबर तक का महीना होता है। इसलिए इस समय ज्यादा अलर्ट रहने की जरुरत होती है।

क्यों होती है मौत

आकाश में अपोजिट एनर्जी के बादल हवा से विपरीत दिशा में जाते हुए टकराते हैं। इससे घर्षण होती है और बिजली पैदा होती है। यही बिजली जमीन पर गिरती है। इस बिजली को किसी तरह के कंडक्टर की जरूरत पड़ती है। नमी एक कंडक्टर की भूमिका निभाती है, जिसके कारण आकाशीय बिजली जमीन पर गिरती है और इसकी चपेट में आने से लोगों की मौत हो जाती है।

नीतीश कुमार ने क्या कहा

मुख्यमंत्री ने कहा, “आपदा की इस घड़ी में वे प्रभावित परिवारों के साथ हैं। मृतक के परिजनों को चार-चार लाख रूपये अनुग्रह अनुदान देने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं।सभी लोग खराब मौसम में पूरी सतर्कता बरतें। खराब मौसम होने पर वज्रपात से बचाव के लिए आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा समय-समय पर जारी सुझावों का अनुपालन करें। खराब मौसम में घरों में रहें और सुरक्षित रहें।” बता दें कि यहां छह जुलाई को भी नौ लोगों की मौत हो गई थी।
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2018 से अब तक 1800 से अधिक लोगों की जा चुकी है जान

वज्रपात की ज्यादा घटनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में होती हैं। इनमें कई ऐसे होते हैं जो खेत मे काम करने के दौरान वज्रपात की चपेट में आ जाते हैं। यही कारण है कि आपदा प्रबंधन प्राधिकरण बारिश के समय सुरक्षित स्थान पर घर के अंदर चले जाने की सलाह देते हुए जागरूक कर रहा है। बिहार में पिछले सात वर्षों यानी 2018 से अब तक वज्रपात से होने वाले हादसे की बात करें तो 1800 से अधिक लोगों की इससे मौत हो चुकी हैं। इसमें इस साल 70 से अधिक मौतें हो गयी है।

इन जिलों में वज्रपात का कहर ज्यादा बरपता रहा है

आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2016 में 114 लोगों की मौत वज्रपात की चपेट में आने से हो गयी थी तो 2017 में 180, 2018 में 139, 2019 में 253, 2020 में 459 और 2021 में 280 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद 2022 में 400 तथा 2023 में 242 लोगों की मौत हो चुकी है। जिलेवार आंकड़ों को देखें तो राज्य के जिन जिलों में वज्रपात का कहर ज्यादा बरपता रहा है उनमें जमुई, गया, बांका, औरंगाबाद, नवादा, पूर्वी चंपारण, छपरा, कटिहार, रोहतास, भागलपुर और बक्सर जिले हैं। पिछले सात सालों में गया में 142 लोगों की मौत वज्रपात से हुई तो औरंगाबाद में 110 लोगों की मौत हुई।

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