नुकसान की आशंका को देखते हुए फैसला
पार्टी पर करीब से नजर रखने वाले बताते है कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा खुद को लेकर आश्वस्त नहीं है। इसके पीछे कारण है मध्य प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर एक प्रमुख कारण है। वहीं, छत्तीसगढ़ में सरकार के खिलाफ कोई खास विरोध नहीं देखने को मिल रहा है। इसके अलावा चुनाव से तकरीबन दो महीने पहले उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है तो अगर कहीं बगावत देखने को भी मिलती है तो बीजेपी आलाकमान के पास उसे रोकने के लिए भरपूर समय मिल जाएगा। इससे चुनाव में होने वाले नुकसान की आशंका भी कम हो सकेगी
अगले कुछ महीनों में देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले है। इनमें से तीन बड़े राज्यों में लड़ाई भाजपा बनाम कांग्रेस होने वाली है। ऐसे में भाजपा किसी भी हालत में कांग्रेस को हराना चाहती है। भाजपा ने जब आज मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए अपने उम्मीदवारों का ऐलान किया तो इसकी झलक देखने को मिली है। हैं।
दोनों राज्यों से 60 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान तब किया गया है, जब चुनाव आयोग ने अभी तक चुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं की है। आमतौर पर बीजेपी विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंकने के बाद ही कैंडिडेट्स के नाम बताती है, लेकिन इस बार उसने काफी पहले घोषणा करके राजनीतिक जानकारों को चौंका दिया है।
पार्टी में बगावत रोकने के लिए भाजपा का नया प्लान
भारत की राजनीति में थोड़ा सा भी दखल रखने वाले लोग ये जानते है कि बीजेपी आमतौर पर कैंडिडेट्स का ऐलान चुनाव से काफी पहले नहीं करती है। यही ट्रेंड पिछले हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक जैसे विधानसभा चुनावों में भी देखा गया था। लेकिन पार्टी को उसका नुकसान उठाना पड़ा। आखिरी समय में उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के बाद दोनों राज्यों में कई उम्मीदवार बागी हो गए।
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