जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड के करीब 32 गावों में कमोबेश जोशीमठ जैंसे हालात बने हुए हैं. इन गावों के 148 परिवारों की विस्थापन की फाइल सालों से आज भी सरकारी कार्यालयों में रेंग रही है। 2012 से अब तक 45 से अधिक गावों के करीब 1400 परिवारों का विस्थापन भी किया गया, लेकिन, ये सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।
घरों और सड़क पर पड़ी दरारें बढ़ती ही जा रही है। इनके अलावा खेतों में दरारें आने के बाद अब हाईटेंशन लाइन के खंभे भी तिरछे हो गए हैं। इससे घरों के लिए नया खतरा पैदा हो गया है। खेतों में लगाए माल्टे और सेब के पेड़ दरार गहरी होने के कारण गिरने शुरू हो गए हैं। इन घटनाओं ने पूरे जोशीमठ इलाके के लोग दहशत में अपना जीवन बीता रहे है। मकानों में दरारें पड़ जाने से लोग अपना घर छोड़कर खुले आसमान के नीचे कड़ाके की ठंड में रातें गुजारने को मजबूर हैं।
जोशीमठ में भूधंसाव की घटनाएं बढ़ने से स्थानीय निवासियों की जान खतरे में पड़ गई है। जेपी कालोनी में घरों में पानी निकलने से सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है। जोशीमठ थाने के पास के इलाकों में दरार से खतरे को देखते हुए पांच परिवारों को नगर पालिका गेस्ट हाउस में शिफ्ट किया है। तहसील प्रशासन की जांच में अभी तक 130 मकान चिह्नित किए हैं, जबकि प्रभावित परिवारों की संख्या 700 से ज्यादा है। हालात चिंताजनक होते जा रहे है। ऐसे में 22 परिवार शहर छोड़कर जा चुके।
ऋषभ पंत की मां से मिले उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी, कहा- तबीयत में है काफी सुधार
रिपोर्ट के अनुसार, नगर क्षेत्र में भू धंसाव से प्रभावित मकानों का सर्वे करने के लिए प्रशासन की ओर से गठित टीम ने अभी तक 90 मकानों का सर्वे पूरा किया है। तहसीलदार रवि शाह ने बताया कि सर्वे में तेजी लाने के लिए दो टीमें बना दी गई है। वहीं, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंद किशोर जोशी ने बताया कि जोशीमठ में प्रभावित घरों के सर्वे का काम 20 जनवरी तक पूरा किया जाना है। नगर पालिका से मिले डाटा के अनुसार सोमवार तक भू धंसाव से प्रभावित मकानों की संख्या 586 हो गई है।