इस बीच केंद्र की तरफ से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि लखीमपुर खीरी ( Lakhimpur Kheri Violence ) जैसी घटनाओं को रोकने के लिए आगे कोई विरोध प्रदर्शन नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में किसान महापंचायत को जंतर मंतर पर सत्याग्रह करने की अनुमति देने की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की।
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Lakhimpur Kheri Violence: उमर अब्दुल्ला ने सरकार पर साधा निशाना, बोले- नया जम्मू-कश्मीर बना यूपी कोर्ट ने किसानों के संगठनों से पूछा कि शीर्ष अदालत ने तीन कृषि कानूनों पर रोक लगा दी है और ये अधिनियम लागू नहीं हैं। आप किस बात का विरोध कर रहे हैं?
न्यायालय ने आगे कहा कि कानून की वैधता को लेकर संगठनों की ओर से कोर्ट का दरवाजा खटखटाए जाने के बाद विरोध करने का सवाल कहां आता है? इस पर किसान महापंचात के वकील अजय चौधरी ने कहा, ‘हमारा प्रदर्शन कानूनों के खिलाफ ही नहीं है, बल्कि हम एमएसपी भी मांग रहे हैं।’
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘अगर याचिकाकर्ता की ओर से कानून को एक कोर्ट मे चुनौती दी गई है तो फिर क्या मामला अदालत में लंबित रहते हुए विरोध प्रदर्शन की इजाजत दी जा सकती है? प्रदर्शन की इजात मांगने का क्या औचित्य नहीं है?’
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Lakhimpur Kheri Violence: किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ाने के आरोपी आशीष मिश्रा ने की न्यायिक जांच की मांग, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने कही ये बात सर्वोच्च अदालत ने कहा, ‘अब आप एक रास्ता चुनें, कोर्ट का, संसद का या सड़क पर प्रदर्शन का।’ अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि वो कानून वापस नहीं लेगी।
दरअसल कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठन पिछले 10 महीने से दिल्ली के बर्डर पर विरोध प्रदर्श कर रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय के फटकार के बाद किसानों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर सत्याग्रह करने की अनुमति मांगते हुए एक याचिका दायर की थी।