पोस्ट में क्या लिखा?
अपने सेवानिवृत्त की जानकारी देते हुए के एस होसालिकर ने अपने पोस्ट में लिखा, प्रिय मित्रों, मैं आज आधिकारिक तौर पर IMD से सेवानिवृत्त हो रहा हूँ और मैं आप सभी को नमन करता हूँ, आपकी सभी बातचीत, प्रतिक्रियाओं और हर चीज़ के लिए। मैंने आप सभी से बहुत कुछ सीखा है। मैं आगे भी IMD पूर्वानुमान पोस्ट करता रहूँगा और आप सभी का साथ पाकर बहुत खुश रहूँगा।
क्या रहा कार्यक्षेत्र?
वे भारतीय मौसम विभाग में समुद्री मौसम विज्ञान और तूफान चेतावनी प्रणाली के प्रमुख अधिकारी रहे हैं। उन्होंने भारतीय मौसम विभाग के साथ मिलकर मानसून, चक्रवात, और जलवायु परिवर्तन से जुड़े अध्ययन किए और इसके बारे में कई शोधपत्र प्रकाशित किए। उनका कार्य भारतीय तटों पर तूफानों की पूर्व सूचना देने और आपदाओं से निपटने के लिए महत्वपूर्ण रहा है।
मौसम विभाग का प्रमुख चेहरा
वे हमेशा से भारतीय मौसम विभाग के एक प्रमुख चेहरा रहे हैं, और उनका कार्य भारतीय समुद्र तटीय क्षेत्रों में तूफान और मानसून के पूर्वानुमान की गुणवत्ता में सुधार लाने में मददगार रहा है। उनके काम को व्यापक रूप से सम्मानित किया गया है, और उन्होंने मौसम विज्ञान से जुड़े कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों में योगदान किया है। के एस होसालिकर का नाम भारतीय मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों में लिया जाता है। उनका कार्य भारतीय और वैश्विक मौसम वैज्ञानिक समुदाय के लिए प्रेरणा है।
कई पुरुष्कारों से किया गया सम्मानित
उनके कार्य और योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कारों और सम्मान से नवाजा गया है। उनके योगदान को भारतीय मौसम विभाग और अन्य संबंधित संगठनों द्वारा सराहा गया है। उनके काम को वैश्विक स्तर पर भी मान्यता मिली है, और वे भारतीय मौसम विज्ञान समुदाय के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं।
कहां से हुई प्रारंभिक शिक्षा?
KS Hosalikar का जन्म भारत में हुआ था, और उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद मौसम विज्ञान में अध्ययन किया। उन्होंने भारतीय मौसम विभाग में अपनी सेवा की शुरुआत की और अपने ज्ञान और शोध के जरिए मौसम विज्ञान में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया। वे भारतीय मौसम विभाग में एक वरिष्ठ वैज्ञानिक और विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत रहे हैं।
इन आधुनिक तकनीकों का किया इस्तेमाल
KS Hosalikar ने भारतीय मौसम विभाग में मौसम और चक्रवातों के पूर्वानुमान के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया। उनके नेतृत्व में, विभाग ने सैटेलाइट डेटा, वेदर मॉडलिंग, और अन्य तकनीकी उपकरणों का उपयोग करके मौसम पूर्वानुमान को और अधिक सटीक और विश्वसनीय बनाया।