कारोबार में आया उछाल
हनुमानगढ़ी के पास मिष्ठान भंडार संचालक केशव तो कारोबार में आए उछाल से काफी गदगद नजर आए। बोले- सब राम जी की कृपा है। पहले से काम बहुत बढ़ गया है। अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन के बाहर रघुवीर से पूछा कि यहां का राजनीतिक माहौल कैसा है? उनका जवाब गौर करने लायक था। बोले- अब तो अयोध्या में राजनीति करने लायक कोई वजह ही कहां बची? चुनाव को लेकर लोग अब ज्यादा सोच-विचार नहीं करते हैं। अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर पूरी दुनिया की निगाह रही। श्रीराम का मंदिर बन जाना केवल अयोध्या का मसला नहीं है।
500 सालों तक किया इंतजार
बात आगे बढ़ाते हुए पीयूष त्रिपाठी बोले, अयोध्या में जो माहौल है, उसे देखने के लिए 500 वर्ष इंतजार किया। कई पीढ़ियों के संघर्ष के बाद विवाद पूरी तरह खत्म करने में सफलता मिली है। ऐसे में यहां किसी चुनावी मुद्दे की बात करने का औचित्य नहीं है। लोगों से बातचीत का निचोड़ राममय ही दिखा। अयोध्या में गत 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा थी। यदि इसे कोई राजनीति की भाषा में समझना चाहे तो यह मान सकते हैं कि उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बजा दिया था। हां, यहां भी विपक्षी दलों की अपनी रणनीति है। भाजपा से मुकाबले में इस बार कांग्रेस और समाजवादी पार्टी एकजुट दिख रही है।
रोजगार के अवसर खुले, पलायन का दौर खत्म
अयोध्या कैंट पर मिले मनोहरीलाल से चुनावी चर्चा छेड़ी तो बोले- लंबे समय तक अयोध्या ने उपेक्षा का दंश झेला है। अब अयोध्या मुख्य धारा की ओर तेजी से बढ़ रहा है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद यहां रोज बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। यहां रोजगार के अवसर बढऩे से पलायन भी रुकेगा। चाय की दुकान खोलने के लिए भी देश के कई हिस्सों से लोग आना चाहते हैं।
हवाई सेवा ने लगाए ‘पंख
भोजनालय संचालक धीरी सिंह ने बताया कि अयोध्या के अलावा गोण्डा, बस्ती और बाराबंकी जिले के भी कुछ हिस्सों में रोजगार के अवसर बढ़ें हैं। उम्मीद की जा रही है कि यहां बड़े अस्पताल और अन्य सुविधा केन्द्र भी खुलेंगे। ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी। हवाई सेवा से अयोध्या जुड़ ही चुका है। ऐसे में विकास को पंख तो लगने ही हैं।
दस साल से भाजपा का परचम
फैजाबाद सीट से 2014 से भाजपा जीत रही है। इससे पहले 2009 में कांग्रेस जीती थी। इससे पहले यहां से बसपा, भाजपा और सपा के सांसद चुने जा चुके हैं। फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र में कुल पांच विधानसभा सीटें आती हैं। कांग्रेस-सपा गठबंधन के प्रत्याशी ने प्रचार शुरू कर दिया है। भाजपा के प्रत्याशी की घोषणा का इंतजार है।
सपा ने मुलायम के करीबी रहे अवधेश प्रसाद पर खेला दांव
अयोध्या पहले फैजाबाद जिले में आती थी, अब जिले का नाम अयोध्या हो गया है। लेकिन लोकसभा सीट अभी फैजाबाद के नाम से ही है। इस लोकसभा क्षेत्र में चार विधानसभा क्षेत्र अयोध्या जिले के और एक विधानसभा क्षेत्र बाराबंकी जिले का आता है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद भाजपा देशभर में इसे अपनी उपलब्धि के रूप में प्रचारित करने में जुटी है। जाहिर है वोट मांगने का बड़ा माध्यम भी यही है। अभी फैजाबाद से भाजपा के लल्लू सिंह सांसद हैं। समाजवादी पार्टी ने यहां भाजपा से पहले प्रत्याशी घोषित कर दिया है। भाजपा का विजय रथ रोकने के लिए उसने पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के करीबी रहे अवधेश प्रसाद पर दांव लगाया है। अवधेश प्रसाद अयोध्या जिले की मिल्कीपुर सीट से विधायक हैं। वे 9 बार विधायक और कई बार मंत्री रह चुके हैं। उन्हें पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक फार्मेूले का चेहरा माना जाता है। गठबंधन होने के बाद कांग्रेस भी सपा के साथ हो गई है। मोदी का दौरा पहले ही हो चुका है। भाजपा मंदिर निर्माण में अड़चनें लगाने के लिए सपा को घेर रही है।
दलों की प्रतिष्ठा से जुड़ी फैजाबाद सीट
राममंदिर के बाहर लॉकर केन्द्र पर मिले उद्धव ने कहा, इस बार का चुनाव अन्य चुनावों से अलग है। केसरिया रंग में रंगी इस सीट से भाजपा की भी प्रतिष्ठा जुड़ी हुई। आखिर अयोध्या में क्या होगा? इस पर सबकी नजर है फैजाबाद में बड़ी संख्या में मुस्लिम मतदाता भी हैं। यादव मतदाता भी यहां हैं। ऐसे में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पुराने प्रत्याशी का टिकट काटकर अनुभवी राजनेता को मैदान में उतारा है। चर्चा यह भी है कि भाजपा भी इस बार नया प्रत्याशी मैदान में उतार सकती है। दोनों दलों की प्रतिष्ठा से जुड़ी फैजाबाद सीट पर रोचक मुकाबला होना तय है। अयोध्या के माध्यम से भाजपा ने पूरे देश में संदेश दिया है। राम मंदिर इस बार प्रमुख मुद्दा है। ऐसे में भाजपा इस सीट को किसी भी सूरत में खोना नहीं चाहती है। रामलहर में भाजपा का विजयी रथ रोकना विपक्ष के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकती है।
लोकसभा चुनाव 2019
बीजेपी : 48.66 प्रतिशत
सपा : 42.64 प्रतिशत
कांग्रेस : 4.91 प्रतिशत
लोकसभा चुनाव 2014
बीजेपी : 48.08 प्रतिशत
सपा : 20.43 प्रतिशत
कांग्रेस : 12.70 प्रतिशत
बसपा : 13.87 प्रतिशत