1999 में ऑपरेशन विजय के दौरान भारतीय सेना के आर्टिलरी ने बेहद अहम भूमिका निभाई थी। पाकिस्तान की सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा पार करके भारत की ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश की थी। इस युद्ध की शुरूआत 3 मई 1999 को हो गई थी। पाकिस्तान ने कारगिल की ऊँची पहाडि़यों पर 5,000 सैनिकों के साथ घुसपैठ कर कब्जा जमा लिया था।
इस बात की जानकारी जब भारत सरकार को मिली तो सेना ने पाक सैनिकों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय चलाया। अपनी घातक और सटीक गोलाबारी के बल पर भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजीमेंट ने दुश्मन फौजों के दांत खट्टे कर दिये थे। पाकिस्तान भारत की तोपों के सामने ठहर नहीं पाया।
ऑपरेशन विजय को जल्द पूरा करने में इसी प्वॉइंट 5140 ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। प्वांइट 5140 पहाड़ी वहीं जगह है जहां बैठकर परमवीर चक्र कैप्टन विक्रम बत्रा ने ‘यह दिल मांगे मोर’ कहा था। इस युद्ध के दौरान भारत के 527 वीर सैनिकों ने शहादत देकर प्वाइंट 5140 पर तिरंगा लहराया और अपनी जीत का ऐलान किया। कारगिल का यह युद्ध 18 हजार फीट की ऊंचाई पर तकरीबन 2 महीने तक चला था, जिसमें 1300 से ज्यादा सैनिक इस जंग में घायल हुए थे।
भारतीय आर्टिलरी के गनर्स के शौर्य को युद्ध के 23 साल बाद प्वाइंट 5140 का नाम बदलकर श्रद्धांजलि दी गई है। आर्टिलरी रेजिमेंट की ओर से द्रास के कारगिल युद्ध स्मारक में आर्टिलरी के डायरेक्टर लेफ्टिनेंट जनरल टीके चावला ने ऑपरेशन में भाग लेने वाले वेटरन गनर्स के साथ पुष्पांजलि अर्पित की। यह कार्यक्रम सभी आर्टिलरी रेजिमेंट के वेटरन्स की उपस्थिति में आयोजित किया गया था, जिन्हें ऑपरेशन विजय में “कारगिल” की उपाधि मिली थी।