सुधा मूर्ति से सिखाएंगी पेरेंटिंग के कुछ गुर
अगर आप पहले दिन गुलजार की कविताओं का लुत्फ लेने के चूक जाएं तो इस बार वह दूसरे दिन भी अपनी जिंदगी के कुछ पन्ने खोलने वाले हैं। यहां आप सुधा मूर्ति से पेरेंटिंग के कुछ गुर भी सीखेंगे तो महिला सशक्तीकरण को लेकर भी सेशन होने वाले हैं। यूके और भारत की सबसे लोकप्रिय कलनरी स्टार्स में से एक अस्मा खान से आप खाने पकाने के कुछ नुस्खे लेकर जाने वाले हैं तो मुकेश बंसल जैसे एंटरप्रेन्योर भी अपनी बात रखेंगे। राजनीति की बातें भी यहां खूब होने वाली हैं।
दूसरे मुल्कों के एंबेस्डर भी यहां के होंगे मेहमान
ऑस्ट्रेलिया सहित कुछ देशों के हाई कमिश्नर और एंबेसेडर से लेकर नवतेज सरना जैसे पूर्व राजनियक भी यहां होंगे। पांच दिन तक साहित्य और विमर्श का यह दौर गुलाबी नगरी की फिजां में इतना घुलने वाला है कि ढेरों सवालों के जवाब ढूंढते रहने वाले आपके मन को कुछ करार जरूर आएगा।
यहां इन क्षेत्रीय भाषाओं का भी रंग देखने को मिलेगा
अंग्रेजीदां माहौल की शिकायत करने वालों के लिए आयोजकों ने राजस्थानी और हिंदी के साथ-साथ असमिया, बंगाली, कन्नड़, संस्कृत, उर्दू की कशिश घोलने की कोशिश की है। हालांकि इस बार जेएलएफ में बॉलीवुड का तडक़ा थोड़ा फीका रहेगा। विशाल भारद्वाज जैसे कुछ नामों को छोडक़र किसी बड़ी बॉलीवुड सेलिब्रेटी का न होगा थोड़ा मायूस कर सकता है। साहित्य के नाम पर बाजार सजने की शिकायत करने वाले इस बार भी रहेंगे। उनकी शिकायत इस बार भी बजा फरमाती रहेगी। फैशनपरस्त युवाओं की भीड़ क्या सचमुच अपने विचारों की जुगाली करने आई है या सिर्फ इंस्टाग्राम पर रील्स बनाकर फोलोअर्स या लाइक बढ़ाने के लिए, यह सवाल भी मौजूं रहने वाला है। तो फिर देखने और सुनने को चलते हैं जेएलएफ…