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एक विवादित बयान और ‘सुसाशन बाबू’ की छवि धूमिल! क्या नीतीश कुमार को लगेगा झटका, एक्सपर्ट से जानिए

राजद को जब बिहार की जनता ने 2005 में सत्ता से बेदखल किया उसके बाद नीतीश कुमार प्रदेश के सीएम बने। लगभग पिछले 18 वर्षों में उनकी छवि सुशासन बाबू की रही है। लेकिन कुछ दिन पहले बिहार विधानसभा और विधान परिषद् में उनके दिए बयान को लेकर हाय तौबा मची है, उससे उनकी छवि को धक्का लगा है, इसे कोई नकार नहीं सकता है।

Nov 12, 2023 / 05:00 pm

Paritosh Shahi

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बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पहचान सियासी दुनिया में ‘सुशासन बाबू’ की रही है। जब बिहार ने जनता ने इन्हें जनादेश दिया था तो इनमे एक उम्मीद देखी थी। इसमें कोई दो मत नहीं कि उनके मुख्यमंत्री काल में बिहार में हुई विकास की चर्चा देश में हुई और यहां की कई विकास योजनाओं को अन्य राज्यों ने भी अपनाया। लड़कियों को लेकर इन्होंने जिस प्रकार की योजनायें बनाई, उसका दूरगामी परिणाम देखने को मिला। लेकिन, हाल के दिनों में नीतीश कुमार की चर्चा देश और दुनिया में उनके बयानों और उनके कई गतिविधियों को लेकर हो रही है। इन बयानों को लेकर कई नेता उनको मानसिक कमजोर तक बताने लगे हैं तो कई उन्हें मेमोरी लॉस मुख्यमंत्री की संज्ञा दे रहे हैं। पार्टी के नेता और प्रवक्ता के लिए उनके बयान को डिफेंड करना नामुमकिन होता जा रहा है। दरअसल, बिहार विधानसभा के संपन्न हुए शीतकालीन सत्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा प्रजनन दर कम करने को बताने के क्रम में जिस तरह उन्होंने पति और पत्नी के रिश्ते को लेकर सदन में बयान दिया और उस मुद्दे को लेकर जिस तरह भाजपा, हम, लोजपा समेत सभी विपक्षी पार्टियां जिस तरह आक्रामक हुई उससे जदयू को पीछे हटना पड़ रहा है।

 

माफी मांगने के बाद भी बवाल नहीं थमा

उस विवादित बयान के बाद मुख्यमंत्री को भी इस गलती का एहसास हुआ और उन्होंने दूसरे दिन ही सार्वजनिक तौर पर न केवल तीन बार माफी मांगी बल्कि खुद के बयान की निंदा भी की। वो बोले, मैं शर्मिंदा हूं। इस तमाम विवाद के बीच राजनीति के जानकार अजय कुमार भी कहते हैं कि जिस तरह से नीतीश के बयान के बयान को लेकर हाय तौबा मची, उससे उनकी छवि को धक्का लगा है, इसे कोई नकार नहीं सकता है। उन्होंने साफ लहजे में कहा कि विधानसभा में जिस प्रकार नीतीश ने पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को अपमानित किया, जो दलित वर्ग से आते हैं, उससे भी जदयू के सियासी रणनीति को नुकसान पहुंचा है।

महिलाएं आ सकती है विरोध में
आगे अजय कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार के लिए आधी आबादी शुरुआत से ही एक ताकत रही है। कुमार के कार्यकाल में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 प्रतिशत का आरक्षण मिला। इस कारण ही पिछले कई चुनावों में मतदान के दौरान महिलाओं की लंबी कतार देखी गई है और इसका सीधा लाभ उनकी पार्टी को मिला।

आगे उन्होंने कहा, दलित, महादलित मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए जदयू के नेता अक्सर कहते रहे हैं कि नीतीश कुमार ने एक दलित वर्ग से आने वाले को नेता को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा दिया। लेकिन अब नीतीश के ‘मेरी मूर्खता थी कि मैने मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया’ के बाद शायद जदयू के नेता लोगों के बीच यह बयान नहीं दे पाएंगे।

बीजेपी प्रवक्ता बोले- नीतीश मेमोरी लोस सीएम हैं
इधर, भाजपा के प्रवक्ता राकेश कुमार सिंह का कहना है कि नीतीश कुमार मेमोरी लॉस मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में गौर से देखे तो उन्हें कई बातें याद नहीं रहती है। वे बताते हैं कि जब वे सदन में पूर्व सीएम मांझी के खिलाफ बोल रहे थे तब उनकी पार्टी के ही नेता उन्हें बैठाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वे बिना पूरी बात रखे नहीं बैठे।

उन्होंने यह भी माना कि नीतीश की छवि नाप तौल कर बोलने वाले नेता की रही है, लेकिन जब से वे राजद के साथ गए है उनके अंदाज बदल गए हैं। इसमें दो मत नहीं कि नीतीश के हाल के बयानों से उनकी छवि को नुकसान हुआ है, लेकिन अब देखने वाली बात होगी जदयू अपने नेता की सुशासन वाली साख या सियासी आभा कैसे फिर से लौटा पाती है।

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