जब कथावाचक जया किशोरी भारत मंडपम में स्टेज पर गईं तो पीएम मोदी ने उनसे पूछा, “जया जी, आपने लोगों में अध्यात्म की दुनिया की तरफ बड़े ही आधुनिक तरीके से रुचि फैलाई है। अपने बारे में कुछ बताइए।”
जया किशोरी कहती हैं, “मैं कथाकार हूं। श्रीमद् भागवत करती हूं। गीता जी के ऊपर बातें करती हूं। मेरा बचपन इन्हीं चीजों से गुजरा है। जो बदलाव मुझमें आया है.. चाहें शांति, सुकून खुशी, हर चीज को लेकर, इसी से आया है। हमारी सोच है कि भगवान से जुड़ना तो बुढ़ापे का काम है… लेकिन मुझे लगता है कि ये सबसे गलत सोच है।
क्योंकि सबसे ज्यादा अध्यात्म की जरूरत युवाओं को है। अगर मैं मटेरियलिस्टिक लाइफ से साथ आध्यात्मिक जीवन जी सकती हूं तो मुझे लगता है कि हर युवा जी सकता है।”
पीएम मोदी कहते हैं, “लोगों को डर लगता है कि अध्यात्म का मतलब झोला लेके चले जाना है। तो आप उनको रास्ता बताइए न।”
जया किशोरी कहती हैं, “सर, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि सबसे बड़ा आध्यात्मिक ज्ञान है श्रीमद भागवत गीता। वो एक ऐसे व्यक्ति को सुनाई जा रही है- अर्जुन को, जो आगे जाकर राजा बनने वाले हैं। राजा से ज्यादा ऐश्वर्य किसे के पास नहीं होता है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने एक बार भी नहीं कहा कि राज छोड़ दो। बस यही कहा कि अपना धर्म पूरा करो जहां भी हो।” इसके बाद कथावाचक जया किशोरी अभिवादन के साथ पीएम मोदी से विदा लेती हैं।
राष्ट्रीय रचनाकार पुरस्कार के लिए पहले दौर में 20 विभिन्न श्रेणियों में 1.5 लाख से अधिक नामांकन प्राप्त हुए थे। इसके बाद मतदान में विभिन्न पुरस्कार श्रेणियों में डिजिटल रचनाकारों के लिए लगभग 10 लाख वोट डाले गए। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय रचनाकारों सहित 23 विजेताओं को अवॉर्ड देने का निर्णय किया गया।