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Jagannath Rath Yatra 2024: सोने की झाडू़ से सेवा देने से शुरू होगी रथ यात्रा, जानिए आज के पूरा कार्यक्रम

Jagannath Rath Yatra 2024: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा रविवार की शाम 5 बजे शुरू होगी लेकिन उसका साक्षी बनने के लिए जनसैलाब पुरी पहुंचने लगा है। पढ़िए पुरी से देवेंद्र गोस्वामी की खास रिपोर्ट…

नई दिल्लीJul 07, 2024 / 08:05 am

Shaitan Prajapat

Jagannath Rath Yatra 2024: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा रविवार की शाम 5 बजे शुरू होगी लेकिन उसका साक्षी बनने के लिए जनसैलाब पुरी पहुंचने लगा है। भगवान जगन्नाथ मंदिर से लेकर गुडि़चा मंदिर तक तीन किलोमीटर में समुद्री लहरों की तरह लोगों का हुजूम नजर आ रहा है। शनिवार रात दो बजे से मंदिर के अंदर विधान शुरू हो चुके हैं। रविवार शाम 5 बजे भगवान जगन्नाथ के पहले भक्त पुरी के राजा गजपति महाराज पालकी में सवार होकर मंदिर आएंगे। वे सोने की झाड़ू से रथ के आगे-आगे सफाई करने की परंपरा निभाएंगे। इसे छेरा पहरा कहा जाता है। तीनों रथों के लिए अलग-अलग झाड़ू रहेगी। झाड़ू नारियल के पत्ते का बना होता है। झाडू को पकड़ने वाले स्थान पर सोने की रिंग लगी रहती है। इसलिए इसे सोने की झाडू भी कहा जाता है। सेवा की परंपरा के बाद झाड़ू और सोने की रिंग को भगवान जगन्नाथ के खजाने में रख दिया जाता है।

12 साल में नई झाड़ू

हर 12 वर्ष में जब भगवान की प्रतिमा का विग्रह होता है और नई प्रतिमा बनती है, तब नई झाड़ू लेकर आते हैं। गजपति महाराज 10 मिनट तक भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथ के आगे झाड़ू लगाएंगे और अपनी पालकी में वापस चले जाएंगे। इसके बाद रथ यात्रा शुरू हो जाएगी। तीन किलोमीटर दूर गुडि़चा मंदिर पहुंचने में एक दिन लग जाएगा।

वापसी में भी गजपति लगाएंगे झाड़ू

पुरी रथ यात्रा पर शोध करने वाले विद्वान डॉ. शरत चंद्र मोहंती ने बताया कि गुडि़चा मंदिर से वापसी के समय भी गजपति झाड़ू से सफाई की सेवा देेंगे। मोहंती ने इतिहास बताते हुए कहा कि जब मंदिर में जगन्नाथ भगवान की प्राण प्रतिष्ठा हुई तो1000 अश्वमेघ यज्ञ हुआ था। तब नरसिंह भगवान ने चतुर्भुज शरीर में जगन्नाथ जी के रूप में दर्शन दिए। स्कंद पुराण के उत्कल खंड में इसका वर्णन है। अवंतिका देश के नरेश इंद्र दुम ने इस मंदिर को बनवाया था। उनसे भगवान बोले कि इतना बड़ा मंदिर बनवाया है। हम तुमसे बहुत प्रसन्न हैं। वर मांगो। राजा ने कहा, मेरा वंश निर्वंश कर दीजिए, क्योंकि वंश रहेगा तो आने वाली पीढ़ी कहेगी कि मेरे दादा-परदादा ने यह मंदिर बनवाया है। इस पर जगन्नाथ जी ने कहा कि ये तुमने क्या वर मांग लिया। और कुछ मांग लो। तब राजा बोले, हमें कोई ऐसा काम दीजिए जिसमें मेरा कोई अहंकार न रहे। आप जब रथ पर सवार हो जाएंगे तो हम झाड़ू लगाकर सेवा करेंगे। तभी से रथ यात्रा में झाडू से सेवा देने की यह प्रथा चली आ रही है।

तीनों रथ मंदिर पहुंचे

शनिवार को भगवान जगन्नाथ के रथ नंदीघोष, बलभद्र के रथ तलध्वज और सुभद्रा के रथ देवदलन को पुलिसकर्मियों की मदद से खींचकर मंदिर तक लाया गया। रविवार को यहीं से रथ यात्रा शुरू होगी। सबसे आगे बलभद्र जी का रथ चलता है, उसके पीछे सुभद्रा और सबसे अंत में भगवान जगन्नाथ जी का रथ रहता है।

सड़क किनारे भक्तों का डेरा

पुरी में मंदिर के आसपास और समुद्र किनारे के सारे होटल-लॉज भर चुके हैं। रथ यात्रा देखने आने वाले लाखों लोग शनिवार रात से मंदिर के आसपास सड़क और समुद्र किनारे डेरा डाले रहे। रविवार को रथ यात्रा मार्ग पर भक्तों के लिए एक हजार से अधिक जगह भंडारे की व्यवस्था होगी।

आज के कार्यक्रम

2 बजे सुबह – मंगलआरती, मंदिर में सेवा देने वाले पुजारी ही रहेंगे।
2.30 बजे- भगवान जगन्नाथ की प्रतिमूर्ति का स्नान। इसके बाद पट खुलेगा लेकिन आम भक्त यहां दर्शन नहीं कर पाएंगे।खिचड़ी प्रसाद और सोनापोटा लागी विधान होगा।
12.30 बजे दोपहर- भगवान मंदिर से निकलकर रथ पर सवार होंगे।
5 बजे शाम – गजपति महाराज पुरी के राजा दिव्यसिंह देबा छेरा पहरा यानी झाड़ू लगाएंगे और रथ चलना शुरू होगा।

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