ISRO के शुक्र मिशन में 19 पे-लोड भेजने की योजना
वीनस एक्सप्रेस और आकाशुकी मिशन ने वायुमंडलीय गतिशीलता, जलवायु और सतह की विशेषताओं का अध्ययन करने पर ध्यान केंद्रित किया। शुक्र के ये मिशन दक्षिणी ध्रुवीय हिस्से या भूमध्य रेखीय बेल्ट के कुछ संकीर्ण इलाकों तक सीमित रहे। हवाओं, तरंगों या रासायनिक प्रचुरता आदि को ध्यान में रखते हुए शुक्र का स्थलाकृति मानचित्र तैयार नहीं हो सका। इसरो ने शुक्र मिशन में 19 पे-लोड भेजने की योजना बनाई है। इससे ग्रह के बारे में समान कवरेज मिलेगा। भविष्य के मिशनों के लिए अनूठा डेटा सेट भी तैयार होगा। इन 19 पे-लोड में से 16 पूरी तरह स्वदेशी होंगे। एक पे-लोड भारत और स्वीडन की साझेदारी में तैयार होगा। एक अन्य भारत और जर्मनी की साझेदारी में विकसित होगा। एक-पे-लोड रूस का होगा।चमक और तापमान के बारे में मिलेगा ब्योरा
एस बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार फॉर वीनस (VSAR) नाम का पे-लोड शुक्र पर सक्रिय ज्वालामुखी या ज्वालामुखी हॉटस्पॉट का पता लगाएगा। शुक्र के क्रेटर और उससे उत्पन्न इजेक्टा का मानचित्रण करेगा। रेडियोमीटर मोड में शुक्र की चमक और तापमान के बारे में जानकारी देगा। वीनस सरफेस एमिसिविटी एंड एटमॉस्फेरिक मैपर (VSEAM) नाम का पे-लेड शुक्र पर तापीय विविधता और वायुमंडलीय अध्ययनों के आधार पर सक्रिय ज्वालामुखी के हॉटस्पॉट की पहचान करेगा। शुक्र के बादलों और एरोसोल की मैपिंग भी करेगा।यह भी पढ़ें – Starlink या Oneweb की तरह उपग्रहों का नक्षत्र तैयार करेगी भारतीय कंपनी! ISRO अध्यक्ष Somanath ने पत्रिका को दिए इंटरव्यू में किया ये दावा