पहाड़ियों को काटने का काम शुरू
अंबाजी मंदिर (Ambaji Temple) से करीब ढाई से तीन किलोमीटर पहाडि़यों को काटने का जोरशोर से कार्य शुरू हो गया है। यहां करीब 500 मीटर तक पहाड़ियों को काटा जा चुका है और लेवल तैयार किया जा रहा है। इसके बाद पटरियां बिछाने का कार्य प्रारंभ किया जाएगा फिर चरणबद्ध तरीके से प्लेटफार्म और सड़क निर्माण किया जाएगा। पुलिया बनाने और पटरी बिछाने के लिए जमीन समतल की जा रही है।
तारंगाहिल-अंबाजी और आबूरोड तक नई रेललाइन
वर्ष 2022 में रेल मंत्रालय ने 116.65 किलोमीटर तारंगाहिल-अंबाजी-आबू रोड नई रेल लाइन (Tarangahill-Ambaji-Abu Road New Railline) तक नई लाइन बनाने की मंजूरी दी थी। यह प्रोजेक्ट करीब 2798.16 करोड़ रुपए का है जिसे वर्ष 2027 तक पूरा करना है। मौजूदा समय में मेहसाणा से वरेठा तक रेलवे लाइन है। यह नई रेल लाइन वरेठा से अंबाजी से जुड़ जाएगी। ऐसा होने से दिल्ली जाना भी आसान हो जाएगा।
यात्रियों का सफर होगा आसान
नई रेललाइन प्रारंभ होने के बाद अंबाजी आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की यात्रा आसान हो जाएगी। विशेष तौर पर भादो पूर्णिमा पर न सिर्फ गुजरात बल्कि राजस्थान से भी काफी संख्या में श्रद्धालु मां अंबा के दर्शन करने आते हैं। उधर तारंगाहिल में अजीतनाथ जैन मंदिर है। यहां भी दर्शन के लिए आसानी से श्रद्धालु आ सकेंगे। यह नई रेल लाइन गुजरात के मेहसाणा से बनासकांठा और साबरकांठा और राजस्थान के सिरोही जिले होकर गुजरेगी। इस रेललाइन के बिछने से आसपास उद्योग-धंधे भी विकसित होंगे।
नई लाइन में होंगे 15 रेलवे स्टेशन
नई रेल लाइन पर 15 रेलवे स्टेशन बनेंगे। इनमें 8 क्रॉसिंग और 7 हॉल्ट स्टेशन होंगे। इसके अलावा 11 टनल, 54 बड़े पुल, 151 छोटे पुल, 8 रोड ओवर ब्रिज व 54 रोड अंडर ब्रिज होंगे। यह विद्युतीकृत ट्रेक्शन पर संचालित रेलवे लाइन होगी।
देवी सती का हृदय सुदर्शन चक्र से कटकर यहीं गिरा था
गुजरात के अंबाजी का यह मंदिर 1200 वर्ष पुराना है। अंबाजी मंदिर की मुख्य कहानी शक्तिपीठों के निर्माण से जुड़ी है। दक्ष प्रजापति ने यहां एक बड़े यज्ञ का आयोजन किया था लेकिन सती और शिव को आमंत्रित नहीं किया। सती बिना आमंत्रण के ही यज्ञस्थल पर पहुंच गईं। दक्ष ने अहंकार में आकर सती के साथ-साथ भगवान शिव की भी उपेक्षा कर डाली। सती इस अपमान से विचलित हो उठी और राजा दक्ष द्वारा तैयार कराए गए हवनकुंड में ही कूदकर जान दे दी। भगवान शिव क्रोधित हो उठे और सती के जले हुए शरीर को लेकर तांडव करना शुरू कर दिया। भगवान विष्णु ने शिव को शांत करने के लिए अपने सुदर्शन चक्र का उपयोग करके सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित किया। उन 51 अंगों में से सती का ‘हृदय’ इसी स्थान पर गिरा था। यहां सती को अरासुरी अंबाजी माता कहा जाता है।
राम और लक्ष्मण ने इस वजह से की थी अंबाजी की पूजा
इस धार्मिक स्थल को लेकर रामायण में भी एक कहानी कही गई है। भगवान राम और लक्ष्मण सीता की तलाश में श्रृंगी ऋषि के आश्रम में आए थे जहां उन्हें गब्बर में देवी अंबाजी की पूजा करने के लिए कहा गया था। राम ने ऐसा ही किया और जगत माता देवी अंबाजी ने उन्हें एक चमत्कारी बाण दिया, जिसकी मदद से राम ने युद्ध में अपने दुश्मन रावण का बध कर डाला।
कृष्ण का मुंडन भी गब्बर पहाड़ी पर हुआ था
बाल भगवान कृष्ण को भी द्वापर युग में इस गब्बर पहाड़ी पर लाया गया था। उनके पालक माता-पिता नंद और यशोदा की उपस्थिति में कान्हा का मुंडन संस्कार यही कराया गया था।