जम्मू कश्मीर पुलिस के प्रमुख आरआर स्वैन ने बताया है कि प्रदेश में मारे गए 76 आतंकियों में से 55 विदेशी आतंकी थे। इस तथ्य से यह बात साफ हो जाती है कि पाकिस्तान ने अभी भी अपनी खुराफात बंद नहीं की है। वह अपनी बदनियति पर लगातार काम कर रहा है। न तो उसका इरादा बदला है और न की बदलने की नियति दिख रही है।
डीजीपी स्वैन ने बताया है कि प्रदेश में आतंकियों के खिलाफ इस साल कुल 48 आपरेशन चलाए गए। इसमें 76 आतंकी मारे गए। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में 291 आतंकी सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया है। पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत 201 ओवरग्राउंड वर्कर्स के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
कौन होते हैं ओवरग्राउंड वर्कर्स
जम्मू कश्मीर में आतंकी की जड़ें मजबूत करने का काम ओवरग्राउंड वर्कर्स ही करते हैं। यह आतंकियों की आंख और कान होते हैं। आतंकियों के रहने से लेकर इनकी योजना को अंतिम अंजाम तक पहुंचाने में पूरी सहायता करते हैं। चाहे वह रसद पहुंचाने की बात हो या फिर हथियार पहुंचाने की। इतना ही नहीं यह खुफिया नजर भी रखते हैं कि सुरक्षाबलों का कौन सूचना दे रहा है और कौन उन पर नजर रख रहा है।
31 आतंकी सक्रिय
जम्मू-कश्मीर में 31 स्थानीय आतंकी सक्रिय हैं। इसमें से चार आतंकी जम्मू के किश्तवाड़ के हैं और 27 आतंकी कश्मीर घाटी में सक्रिय हैं। यह संख्या अब तक के सबसे निचले स्तर पर है। स्थानीय नागरिकों की हत्या भी कम हुई है। 2022 में 31 नागरिक मारे गए थे और 2023 में यह संख्या 14 रह गई है।
DSP सहित चार पुलिसकर्मी शहीद हुए
डीजीपी स्वैन ने बताया कि 2022 में 14 पुलिस जवान शहीद हुए थे और इस साल डीएसपी सहित चार पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं। 71 फीसदी गिरावट हुई है। 2023 में कश्मीर में 78 और जम्मू में 11 आतंकी मॉडयूल पकड़ा गया है। कश्मीर में 12 और जम्मू में छह आतंकी ठिकाने पकड़े गए।
170 करोड़ की संपत्ति जब्त
आतंक के साथ अलगाववाद को भी कुचला जा रहा है। 2023 में कुल 170 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की गई है। 99 संपत्तियों में से 57 संपत्ति राज्य की इंवेस्टिगेशन एजेंजी ने जब्त की है। आठ हजार फर्जी सोशल मीडिया के एकाउंट को भी बंद किया गया और बैंक खाते भी फ्रीज किए गए।