पूरी तैयारी के साथ जा रहे सांसद
विपक्ष मणिपुर के मुद्दे पर सरकार को हर तरफ से घेरने की कोशिश कर रही है। इस बाबत INDIA की लगभग सभी पार्टियां एक सुर में आवाज उठा रही है। जो सांसद कल मणिपुर जा रहे हैं उनमें अधिरंजन चौधरी, गौरव गोगोई, जयंत चौधरी , मनोज झा , ललन सिंह , सुष्मिता देव , अरविंद सावंत , महुआ मांझी , सुशील गुप्ता, महुआ मोईत्रा समेत अन्य सांसद शामिल हैं। ये सभी सांसद कल कुकी और मेतैई दोनों समुदाय के लोगों से बात कर राज्य में शांति स्थापित करने के लिए अपील कर सकते हैं।
बड़ी संख्या में विपक्षी पार्टियों के सांसद कल मणिपुर आ रहे हैं इसलिए सुरक्षा व्यवस्था को और चौकस किया जा रहा है, गाड़ियों की चेकिंग की जा रही है। विपक्षी सांसदों का यह दौरा अच्छे से हो जाए इस बात का दारोमदार राज्य की बिरेन सिंह के प्रशासन के जिम्मे है। ऐसे में एहतियातन हर तरह के कदम उठाए जा रहे हैं।
लोकतंत्र का अपमान कर रहे पीएम- खरगे
इस मामले पर कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि सदन चल रहा है, हम मांग कर रहे हैं कि पीएम यहां आएं और इस मुद्दे पर अपना बयान दें। लेकिन वे राजस्थान और गुजरात में राजनीतिक भाषण दे रहे हैं और चुनाव की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब वो राजस्थान और गुजरात जा सकते हैं तो क्या सदन में आधे घंटे के लिए आकर मणिपुर मामले पर बयान नहीं दे सकते हैं। लोकतंत्र में उनकी कोई रूची नहीं है। कोई विश्वास नहीं है। वे संसद का अपमान कर रहे हैं। वे लोकतंत्र की रक्षा नहीं करना चाहते हैं।
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19 जुलाई को उबल पड़ा पूरा देश
मणिपुर में कुकी और मेतैई समुदाय के बीच जारी हिंसा के बीच 19 जुलाई की शाम को एक वीभत्स घटना का वीडियो वायरल हो गया। जिसमें दरिंदो की एक भीड़ द्वारा दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र परेड कराया जा रहा था। इस वीडियो में साफ देखा जा सकता था की दोनों महिलाएं कितनी असहाय थीं। जैसे ही यह वीडियो सामने आया पूरा देश गुस्से से उबल पड़ा। हर जगह इन दरिंदों पर कार्रवाई की मांग उठने लगी। जिसके बाद इस केस को CBI को सौंपने का फैसला लिया गया ताकि जल्द से जल्द सभी दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो सके।
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पूरा मामला जानिए
बता दें कि, अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद पहली बार 3 मई को झड़पें हुई थीं। मेइती समुदाय मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नागा और कुकी जनसंख्या का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं। राज्य में शांति बहाल करने के लिए करीब 35,000 सेना और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है।
लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद भी कोई सुधार देखने को नहीं मिल रहा है, जिस कारण आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अब तक इस हिंसा में 145 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और 3500 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। केंद्र की मोदी और राज्य की बिरेन सरकार अब तक इस मसले पर पूरी तरह विफल दिखी है।