भारत का राष्ट्रगान जन-गण-मन-गन-अधिनायक जय हे 27 दिसंबर 1911 को कोलकत्ता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन के गाया गया था। रवींद्रनाथ टैगोर ने 1911 में 5 छंदों में एक कविता बंगाली में लिखी थी। इस कविता के पहले छंद को राष्ट्रगान के रूप में लिया गया था। तो राष्ट्रगान के रचयिता राष्ट्रकवि रविंद्र नाथ टैगोर की भांजी सरला ने कांग्रेस अधिवेशन में यह गान बंगाली और हिंदी भाषा में किया था। नेता जी सुभाष चंद्र बोस के निवेदन पर आबिद अली ने इसका हिंदी और उर्दू में रूपांतरण किया था। बाद में इसकी अंग्रेजी में भी रचना की गई, यह हिंद सेना का नेशनल ऐंथम था। 24 जनवरी 1950 को आजाद भारत की संविधान सभा ने इसे अपना राष्ट्रगान घोषित किया। राष्ट्रगान को गाने में 52 सेकेंड का समय लगता है। राष्ट्रगान के बोल और धुन स्वयं रवीन्द्रनाथ टैगोर ने आन्ध्रप्रदेश के मदनापल्ली में तैयार की थी।
अंग्रेजों ने 1870 में अपना गीत गॉड सेव दि क्वीन गीत को गाना अनिवार्य कर दिया था। इस आदेश को लेकर बंकिमचंद्र चटर्जी काफी आहत हुए थे। बंकिमचंद्र सरकारी नौकरी करते थे। साल 1876 में बंकिमचंद्र चटर्जी एक गीत की रचना की। और उसका शीर्षक दिया ‘वन्दे मातरम्’। शुरुआत में इसके केवल दो ही पद रचे गए थे। यह संस्कृत भाषा में थे। इन दोनों पदों में केवल मातृभूमि की वन्दना थी। आगे का हिस्सा बांग्ला भाषा में मां दुर्गा की स्तुति है। गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर ने इसके लिए धुन तैयार की थी।