उत्तर प्रदेश में भाजपा अभी सत्ता में है और यहाँ क्षेत्रीय दलों ने किसानों के मुद्दे को खूब भुनाया। कृषि कानून को लेकर लंबे समय से प्रदेश के किसान भी प्रदर्शन कर रहे थे। लखनऊ से सटे बाराबंकी, सीतापुर और रायबरेली के अलावा पश्चिमी यूपी में किसान सड़क पर विरोध प्रदर्शन करते हुए नजर आए। वहीं, दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बार्डर पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे थे। हालांकि, इस घोषणा पर टिकैत का कहना है कि संसद में कानून वापस लिए जाने के बाद ही वो प्रदर्शनस्थल से वापस अपने घर जाएंगे। किसान 26 नवंबर, 2020 से तीनों कृषि कानूनों के वापस लिए जाने की मांग कर रहे थे। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 15 ज़िलों की 73 सीटों पर भाजपा का प्रभाव रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान इस कानून से सबसे अधिक नाराज थे। इसी नाराजगी का फायदा सपा और बसपा उठाना चाहते थे और अब स्थिति विपरीत दिखाई दे रही है।
क्या कहा प्रधानमंत्री ने ?
कृषि कानून की वापसी का ऐलान करते हुए पीएम मोदी ने देश के नाम अपना संबोधन भी दिया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, “कृषि कानून लाने का उद्देश्य छोटे किसानों को मजबूत करना और उन्हें फसल बेचने के लिए अधिक विकल्प देना था। ये मांग लंबे समय से किसान संगठन, कृषि विशेषज्ञ ..सभी कर रहे थे। कई सरकार ये कानून लाने का प्रयास कर रही थी, परंतु हम इसे लेकर आए। कई किसानों ने इसका समर्थन किया.. मैं उनका धन्यवाद करता हूँ। देश के हित में, गाँव गरीब के उज्जवल भविष्य के लिए, किसानों के भविष्य के लिए ये कानून लेकर आई थी। परंतु पूर्ण रूप से किसानों के हित में इस कानून को किसानों का एक वर्ग समझ नहीं सका।”
पीएम मोदी ने आगे कहा, “हमने विनम्रता से उन्हें अनेक माध्यमों से समझाया। बातचीत भी लगातार होती रही, हमने किसानों की बातों के तर्क को समझने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी, परंतु दो साल तक इस कानून को रोकने के निर्णय के बावजूद हम सफल नहीं हो सके और आज इस कानून को वापस ले लिया है। और मैं आज देशवासियों से क्षमा माँगता हूँ, शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी होगी कि दिए जैसे सत्य के प्रकाश को हम कुछ किसान भाइयों को समझा नहीं पाए। आज मैं आपको बताने जा रहा हूँ कि शीतकालीन सत्र में इस कानून को वापस लेने की प्रक्रिया पूरा कर देंगे।”
इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ज़ीरो बजट खेती लेकर आ रही है। उन्होंने कहा कि देश की बदलती आवश्यकता को ध्यान में रखकर, क्रॉप पैटर्न को वैज्ञानिक तरीके से बदलने के लिए, MSP को और पारदर्शी बनाने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा। इस घोषणा पर विपक्षी दलों का कहना है कि जो नुकसान किसानों ने इस दौरान झेले हैं उसकी भरपाई तो नहीं हो सकेगी।
कुल मिलाकर कहें तो अगले वर्ष पाँच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले की गई ये घोषणा बड़ा प्रभाव डालने वाली है। कृषि कानून को लेकर दलगत राजनीति पर विराम लगेगा। किसानों को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने वाले दलों को झटका अवश्य लगा होगा।पंजाब : कृषि कानूनों की वापसी से भाजपा फायदे में, दूसरे दलों को अब बदलनी पड़ेगी रणनीति
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