जीवन के यादगार पलों के बारे में पूछे जाने पर कपिल देव ने कहा, “भारत के लिए खेलना ही उनके लिये यादगार है और जीवन का सबसे बड़ा आनंद भी वही है।” जीवन के संघर्षों को लेकर उन्होंने कहा, “यदि भारत के लिए ना खेल पाता तो यह जीवन संघर्ष लगता लेकिन भारत के लिए खेलने के बाद जीवन संघर्ष नहीं बल्कि कामयाब और असान लगता है। क्रिकेट मेरे लिये संघर्ष नहीं बल्कि एक ख़ूबसूरत यात्रा थी। जीवन संघर्ष तो वास्तव में उन लोगों के लिए है जो पटरी पर सामान लगा कर बेच रहे हैं और उन्हें यह चिंता है कि घर में आज खाना बन पायेगा या नहीं।”
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अपने हीरो और आदर्श को लेकर कपिल देव ने कहा, “समय के साथ साथ हीरो बदलते रहना चाहिए। मेरा बचपन में कक्षा का मानीटर हीरो होता था, उसके बाद जीवन में जैसे-जैसे नए लोग मिलते गए हीरो भी नए बनते गए।” उन्होंने कहा कि जो केवल किसी एक को ही अपना हीरो मानकर रूक जाता है उसकी सफ़लता भी वहीं रूक जाती है।क्रिकेट खेलने को लेकर माता पिता से प्रोत्साहन मिलने के सवाल पर उन्होंने स्पष्ट कहा कि माता पिता से उन्हें कोई प्रोत्साहन नहीं मिला लेकिन इसमें माता पिता की ग़लती नहीं क्योंकि उस समय खेल में या संगीत आदि अन्य गतिविधियों से जीवन नहीं बनता था और सभी माता पिता अपने बच्चों को खिलाड़ी बनाने के बजाय पढ़ा लिखाकर पैरों पर खड़ा करना चाहते थे। मगर आज स्थितियां बदल गई हैं आज इन खेलों के प्रति आकर्षण व पैसा बढ़ा है जिससे माता पिता भी अपने बच्चों को खिलाड़ी बनाने के लिये प्रोत्साहित कर रहे हैं।