पत्नी का भरण पोषण करना पति का दायित्व
हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता पति एक सक्षम व्यक्ति है और आजकल एक शारीरिक रूप से सक्षम मजदूर भी प्रति दिन 500 रुपये या उससे अधिक कमाता है। उन्होंने कहा कि बढ़ती कीमतों को ध्यान में रखते हुए और बुनियादी जरूरतों की चीजों के महंगा होने के मद्देनजर इस भत्ते को भी पर्याप्त नहीं माना जा सकता है लेकिन मामले की सुनवाई जारी रहने तक पति का यह दायित्व है कि वह पत्नी को निचली अदालत में तय हुए पैसे देता रहे।
पति ने दी थी ये दलील
याचिकाकर्ता की पत्नी ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 के तहत एक आवेदन दायर करने के साथ-साथ अपने पति से 15,000 रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता अलावा हर महीने मुकदमें के 11,000 रुपये मिलते रहें। पत्नी की इसी याचिका के खिलाफ पति ने हाईकोर्ट का रुख किया था। अदालत ने उसे यह भी आदेश दिया कि वह अपनी पत्नी को अदालत के समक्ष उपस्थिति दर्ज कराने पर प्रति सुनवाई 500 रुपये के साथ मुकदमेबाजी खर्च के रूप में 5,500 रुपये की एकमुश्त राशि का भुगतान करे।
क्या है हिंदु विवाह अधिनियम की धारा 24
आपको बता दें कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत धारा 24 में कहा गया है कि यदि पति या पत्नी मे से किसी के पास भी अपना गुजारा करने और कार्यवाही के आवश्यक खर्च देने के लिए स्वतंत्र आय का कोई स्रोत नहीं है। कोर्ट ऐसे आश्रित पति या पत्नी की याचिका पर उस पति या पत्नी को अपने आश्रित को भुगतान करने का आदेश दे सकती है।