भारत और जर्मनी के पुरातत्त्व विशेषज्ञों को शोध के दौरान आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले में मध्य-पुरापाषाण काल के पत्थर के औजार मिले हैं। इन्हें 1.39 लाख साल पुराना बताया जा रहा है। औजारों का इतना प्राचीन होना इस प्रचलित धारणा को खारिज करता है कि सिर्फ आधुनिक मानव (होमो सेपियंस) ऐसे औजार बना सकते थे। शोध करने वाली टीम ने फिलहाल यह नहीं बताया है कि औजार किसने बनाए होंगे।
कैलिफोर्निया (अमरीका) के प्लॉस वन जर्नल में छपे शोध में बताया गया कि सैकड़ों गढ़े हुए पत्थरों का जखीरा प्रकाशम जिले के रेतलापल्ले गांव के पास खुदाई में मिला। ये अंडाकार, त्रिकोणीय और नुकीले हैं। इस खोज से पुरातत्त्व विशेषज्ञ भी हैरान हैं, क्योंकि मध्य-पुरापाषाण काल तक होमो सेपियंस अफ्रीका से निकलकर दक्षिण एशिया नहीं पहुंचे थे। उन्होंने अनुमान जताया कि शायद मानव के विलुप्त पूर्वज भी पत्थर से औजार बनाने में पारंगत थे। खुदाई वडोदरा (गुजरात) के महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर अनिल देवड़ा की अगुवाई में हुई।
होमो सेपियंस अफ्रीका से कब निकले बाहर
पुरातत्त्व विशेषज्ञ अनिल देवड़ा का कहना है कि रेतलापल्ले में औजार बनाने वालों की पहचान रहस्य बनी हुई है। जेनेटिक सबूतों के मुताबिक होमो सेपियंस 60,000 से 70,000 साल पहले अफ्रीका से बाहर निकले थे। आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले के ज्वालापुरम में दस साल पहले 77,000 साल पुराने पत्थर के औजार मिले थे। तब शोधकर्ताओं ने अनुमान जताया था कि शायद इन्हें होमो सेपियंस ने बनाया होगा।
चेन्नई और कर्नाटक में इनसे भी पुराने
दो दशक पहले चेन्नई के पास अथिरामपक्कम नाम की प्रागैतिहासिक साइट से मिले पत्थर के औजार करीब 3.72 लाख साल पुराने बताए गए थे। कर्नाटक में 12 लाख साल पुराने औजार मिल चुके हैं, जिन्हें ‘एचुलियन’ (चेलियन सभ्यता के आखिरी चरण के) औजारों की श्रेणी में रखा गया। इन्हें संभवत: होमो इरेक्ट्स (मानव की विलुप्त प्रजाति) ने बनाया था।
Hindi News / National News / भारत में खुदाई में निकले 1.39 लाख साल पुराने पत्थर के सैकड़ों औजार, अब भी बना हुआ है ये रहस्य