उन्होंने इसके कारण गिनाए। उन्होंने कहा कि जब 2013 में मोदी भाजपा की तरफ से पीएम पद के उम्मीदवार चुने गए तो खुद मोदी ने नैतिकता के आधार पर इस बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया। दूसरी ओर 26 अप्रैल 1946 को जब कांग्रेस का नया अध्यक्ष चुना जाना था। इसके लिए 20 अप्रैल को मौलाना आजाद को नामांकन वापस लेने के लिए पत्र लिखा। गांधी जी ने कहा कि मैं चाहता हूं कि नेहरू पीएम बने।
मजरूह सुल्तानपुरी को एक लेख लिखने पर दो साल जेल में रहना पड़ा
पट्टाभि सीतारमैया और आचार्य कृपलानी को एक-दो वोट मिले लेकिन सरदार पटेल को बाकी सारे वोट मिले। नेहरू को जीरो वोट मिले और वे प्रधानमंत्री बने। ऐसे में जीरो वोट पाकर पीएम बनने वाले नेहरू और स्पष्ट जनादेश लेकर तीसरी बार पीएम बने मोदी के बीच तुलना कैसे हो सकती है? भाजपा सांसद ने कहा कि शायर मजरूह सुल्तानपुरी को नेहरू जी के बारे में एक लेख लिखने पर दो साल जेल में रहना पड़ा था लेकिन मोदी के समय में ऐसा कोई एक्शन नहीं होता। ऐसे में नेहरू और मोदी के बीच कोई तुलना नहीं है।
राम हमारे लिए जीत-हार का विषय नहीं
अयोध्या में भाजपा की हार पर सुधांशु ने कहा कि हमें अपेक्षानुरूप सफलता नहीं मिली, तो विरोधी चित्रकूट से लेकर रामेश्वरम तक राम से जुड़ी सीटें गिना रहे हैं। ये वो लोग हैं जो लोग भगवान राम का अस्तित्व नहीं मानते थे। उन्होंने कहा कि राम हमारे लिए जीत-हार का विषय नहीं हैं।