आइए जानते हैं एक्सपर्ट की राय
अर्थशास्त्र के प्रोफेसर वरुण सिंह ने एबीपी न्यूज चैनल को बताया कि आरबीआई के इस फैसले से रियल एस्टेट और सोने जैसी महंगी चीज़ों की मांग बढ़ेगी। जिन लोगों के पास 2000 के नोट हैं वे गहनों और जमीन में इन्वेस्ट करेंगे। वहीं, इसके अलावा छोटे नोटों की मांग भी बढ़ने लगी है। पिछली बार 2016 में नोटबंदी में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला था। माना जा रहा है कि लोग ज्यादा से ज्यादा पैसा रियल स्टेट और सोने चांदी जैसी चीजों में लगाएंगे।
आरबीआई के इस फैसले पर क्वांटिको रिसर्च की एक अर्थशास्त्री युविका सिंघल ने मिंट से बता करते हुए कहा कि इससे कृषि और निर्माण जैसे छोटे व्यवसाय प्रभावित हो सकते है। उन्होंने कहा कि आज भी कुछ जगहों पर डिजिटल ट्रांजेक्शन के मुकाबले लोग नकदी का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में उनको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में विश्लेषकों और अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अभी तक केंद्रीय बैंक और सरकार ने 2000 के नोट को चलन से बाहर करने का सही कारण नहीं बताया है। लेकिन आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले यह समझदारी का फैसला है। इन चुनाव में जनता को लुभाने और प्रचार में आमतौर पर नकदी का उपयोग बढ़ सकता है।
2000 के नोट बंद करने के फैसले पर एलएंडटी फाइनेंस होल्डिंग्स के समूह मुख्य अर्थशास्त्री रूपा रेगे नित्सुरे ने रॉयटर्स को बताया कि आरबीआई का यह फैसला कोई बड़ा नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे अर्थव्यवस्था या मौद्रिक नीति पर असर नहीं पड़ने वाला है। इसके तर्क देते हुए कहा कि बीते कुछ सालों में देश में डिजिटल लेन-देन और ई-कॉमर्स का चलन काफी बढ़ गया है।
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बाजार पर होगा क्या असर
दो हजार रुपये के नोटबंद होने से बाजार पर क्या असर पड़ेगा, इसको लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे है। द हिंदू अखबार के रिसर्च रिपोर्ट की माने तो भारत में अभी करीब 3.7 लाख करोड़ रुपये के मूल्य के 2000 रुपये के नोट मौजूद हैं। उसका एक तिहाई नोट बैंकों में जमा होता है तो बाजार में नकदी बढ़कर 40 हज़ार करोड़ रुपये से लेकर 1.1 लाख करोड़ रुपये के बीच हो जाएगी। रिसर्च रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि अघोषित आय पर टैक्स बचाने के लिए कई लोगों ने 2000 रुपये के नोटों को जमा कर के रखा है। वे सभी लोग अब गहने खरीदने और रियल एस्टेट सेक्टर में लगाएंगे।
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क्यों की गई नोट की छपाई बंद
आरबीआई के अनुसार, 2000 रुपये के नोट को साल 2019 के बाद से ही छापना बंद कर दिया था। 2016 में हुई नोटबंदी के बाद इस बड़े नोट की छपाई शुरू हुई थी। आईबीआई एक्ट की धारा 24(1) के तहत आरबीआई ने इस नोट को जारी किया था। 2 हजार रुपये के नोट को बंद करने के निर्णय पर आरबीआई ने बताया कि ये फैसला नोटबंदी के बाद पैदा हुई ज़रूरतों को पूरा करने के लिए किया गया था। केंद्रीय बैंक ने कहा कि ये उद्देश्य बाजार में अन्य नोट पर्याप्त मात्रा में आ जाने के बाद पूरा हो गया था। इसलिए दो हज़ार रुपये के नोट छापने बंद कर दिया था।