केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी की गई एक अधिसूचना के मुताबिक, गुजरात के आणंद और मेहसाणा जिलों में रहने वाले शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। इन दोनों जिलों में रहने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को धारा 5, नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6 के तहत और नागरिकता नियम, 2009 के प्रावधानों के अनुसार भारत के नागरिक के रूप में पंजीकरण की अनुमति दी जाएगी। उन सभी लोगों को भारत के नागरिक का प्रमाण पत्र दिया जाएगा। ये लोग लंबे समय से गुजरात में शरणार्थी के रूप में रह रहे थे।
Morbi Bridge Collapse: पीड़ितों से मिलने आज मोरबी जाएंगे PM मोदी, विपक्ष ने अस्पताल की रंगाई-पुताई पर उठाए सवाल
आणंद और मेहसाणा दोनों जिलों में रहने ऐसे लोगों को नागरिकता के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके बाद जिला स्तर पर कलेक्टर द्वारा इन आवेदनों का सत्यापित किया जएगा। आवेदन और उस पर रिपोर्ट एक साथ केंद्र सरकार के लिए ऑनलाइन उपलब्ध कराई करना होगा। जांच पड़ताल की प्रक्रिया पूरी होने के बाद कलेक्टर द्वारा जिन लोगों के आवेदन को सही पाएगा उनके लिए पंजीकरण का प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा।
नागरिकता संसोधन अधिनियम यानी सीएए का मतलब इसके तहत भारत के तीन मुस्लिम पड़ोसी देश- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिम प्रवासी इनमें भी 6 समुदाय हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी को भारत की नागरिकता देने के नियम को आसान बनाया गया है। इससे पहले देश की नागरिकता हासिल करने के लिए किसी भी व्यक्ति को कम से कम 11 साल तक भारत में रहना अनिर्वाय था।
Morbi Bridge Collapsed: PM मोदी पर विपक्ष का हमला, मोरबी में पुल हादसे को बताया ‘मानव निर्मित त्रासदी’
आपको बता दें कि सीएए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्ध, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने का भी प्रावधान करता है। अधिनियम के तहत नियम अब तक सरकार द्वारा नहीं बनाए गए हैं, इसलिए इसके तहत अब तक किसी को भी नागरिकता नहीं दी सकी है। आपको बता दें कि सीएए को लेकर देशभर में काफी बवाल हुआ था। इसको लेकर देश की राजधानी दिल्ली सहित कई राज्यों में हिंसक झड़पे और कई महीनों तक आंदोलन चले थे।