इन छह शहरों में लू का कहर
इसबीच, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने भी भारत के छह प्रमुख शहरों में लू के थपेड़ों और ऊंचे तापमान को खतरनाक बनाने वाले कारणों का विश्लेषण कर बताया कि इस बार पारा के साथ हवा में बढ़ती नमी (ह्यूमिडिटी) का खतरनाक संयोजन परेशान करने वाला है। यह अध्ययन दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई और कोलकाता के आंकड़ों का आकलन किया। सीएसई के अनुसार, बेंगलूरु को छोड़कर बाकी महानगरों में औसत सापेक्ष नमी (रिलेविट ह्यूमेडिटी) में पांच से 10% की वृद्धि हुई है। हैदराबाद जैसे शुष्क क्षेत्रों में रिलेविट ह्यूमेडिटी 2001-2010 की तुलना में 10% बढ़ी है। वहीं, दिल्ली में यह 8% बढ़ी है। मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में अभी भी दिल्ली और हैदराबाद की तुलना में 25% से ज़्यादा ह्यूमेडिटी है। दिल्ली में रात के समय तापमान औसत 12.2 डिग्री तक की बजाय औसतन केवल 8.5 डिग्री तक ठंडा हो पा रहा है।
रिकॉर्डतोड़ गर्मी, रात को नहीं मिल रही राहत
विशेषज्ञों का कहना है कि दिन के समय रिकॉर्डतोड़ गर्मी के बाद रात को भी राहत नहीं मिलने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं। यह स्थिति बच्चों के दिमाग के विकास पर असर डालने से लेकर गर्भवती महिलाओं तक को प्रभावित कर सकती हैं। बुजुर्ग तो इसके आसान शिकार हो ही रहे हैं। शहरीकरण को ‘अर्बन हीट आइलैंड’ (यूएचआई) प्रभाव के लिए जिम्मेदार माना जाता है। ‘अर्बन हीट आइलैंड’ में कंक्रीट और डामर (सड़कों और फुटपाथों के निर्माण में प्रयुक्त) की सतहें दिन के दौरान गर्मी को सोखती हैं और शाम को इसे छोड़ती हैं, जिससे रात के समय का तापमान बढ़ जाता है।
कितना नुकसानः राजस्थान सहित 12 राज्य नहीं दे रहे रिपोर्ट
देश के 12 राज्य को यह मालूम नहीं है कि अत्यधिक गर्मी से लोगों को कितना नुकसान हुआ। केंद्र ने रियल टाइम रिपोर्टिंग सिस्टम बनाया है। इसी साल जनवरी में जिला स्वास्थ्य प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण भी दिया गया। इसके बावजूद, केंद्र के साथ एनसीडीसी की साझा की गई सूचना के अनुसार, देश में लू प्रभावित 23 में से 12 राज्य आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से कोई जानकारी नहीं है। साल 2022 और 2023 में भी यहां से सूचना नहीं मिली। बच्चों की याददाश्त पर भी असर
- यूनिसेफ का कहना है कि अत्यधिक गर्मी में लंबे समय तक रहने से बच्चों का दिमागी विकास भी प्रभावित हो सकता है। इससे बच्चों के सीखने, याद रखने में परेशानी हो सकती है।
- यूनिसेफ ने कहा कि बच्चे, वयस्कों की तरह बदलते तापमान के हिसाब से तेजी से समायोजित नहीं हो सकते, ऐसे में उन्हें गर्मी में ज्यादा खतरा है।
- बच्चों के शरीर का तापमान बढ़ने से उनके दिल की धड़कन तेज हो जाती है और तेज सिरदर्द होता है। शरीर में जकड़न और बेहोशी भी हो सकती है। हालात बिगड़ने पर शरीर के अंग काम करना भी बंद कर सकते हैं।
- अत्यधिक गर्मी में लंबे समय तक रहने से बच्चों का दिमागी विकास भी प्रभावित हो सकता है। इससे बच्चों के सीखने, याद करने में परेशानी हो सकती है।
- गर्भवती महिलाओं में भी गर्मी की वजह से परेशानी हो सकती है और हालात बिगड़ने पर गर्भ में ही बच्चे की मौत तक हो सकती है। अमरीका में किए गए एक अध्ययन में समय पूर्व प्रसव की शिकायतें भी आई हैं।