याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार ने बताया कि सुनवाई से पहले सभी पक्षों को अपने देश से संबंधित एफिडेविट दायर करने का आदेश दिया है ताकि सुनवाई की तारीख को मामले पर विस्तृत सुनवाई हो सके। बता दें, हेमंत सोरेन को पत्थर खनन लीज आवंटन और करीबियों के शेल कंपनी में निवेश मामले में झारखंड हाई कोर्ट में दायर PIL के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका दाखिल की गई है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद शेल कंपनी और खनन लीज़ मामले में झारखंड हाईकोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई चीफ़ जस्टिस डा रविरंजन और जस्टिस सुजित नारायण प्रसाद की बेंच में हुई। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल, महाधिवक्ता राजीव रंजन और अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने कोर्ट के समक्ष बहस की।
ED की ओर से वरीय अधिवक्ता तुषार मेहता और CBI की ओर से ASGI प्रशांत पल्लव और अधिवक्ता पार्थ जालान ने हाईकोर्ट में पक्ष रखा। मुख्यमंत्री की ओर से वरीय अधिवक्ता मुकुल रोहतोगी और हाईकोर्ट के अधिवक्ता अमृतांश वत्स कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुए।
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को खनन पट्टा मामले में याचिकाओं की योग्यता जांचने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सोरेन के खिलाफ दाखिल की गई जनहित याचिका की विश्वसनीयता की जांच करें। सीएम सोरेन पर ये आरोप मनरेगा के फंड और खदान के आवंटन से जुड़े हैं।
ED ने इन मामलों की जांच रिपोर्ट हाई कोर्ट में जमा की है जिसको हाई कोर्ट देख रहा है। झारखंड सरकार का कहना है की ये याचिकाकर्ता राजनीतिक मंशा से याचिका दाखिल करते हैं। ये जनहित याचिका नियम के मुताबिक नहीं है। ये याचिका जनहित याचिका का दुरुपयोग है।
तो वहीं जस्टिस ने कहा कि पहले हम मेंटेनबिलिटी पर सुनवाई करेंगे और उसके बाद केस की मेरिट पर। सरकार की ओर से उपस्थित वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अगली सुनवाई के लिए कोर्ट से समय देने का आग्रह किया। जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 1 जून की तिथि निर्धारित की है।