अच्छी इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए इन चीजों का ध्यान रखें
1. बेहतर हो सीएसआर
इंश्योरेंस कंपनी का बीते 3 साल का एवरेज क्लेम सेटलमेंट रेश्यो (सीएसआर) 90 प्रतिशत से अधिक होना चाहिए। क्लेम सेटलमेंट रेश्यो का मतलब है कितने लोगों ने क्लेम किया और उनमें से कितनों का क्लेम पास हुआ।
इतना हो क्लेम सेटलमेंट रेश्यो90 प्रतिशत से ज्यादा अच्छा
80 प्रतिशत से 90 प्रतिशत ठीक-ठाक
80 प्रतिशत से कम पॉलिसी नहीं लें
(3 साल का औसत सीएसआर)
2. हॉस्पिटल नेटवर्क
ज्यादा से ज्यादा हॉस्पिटल्स को कवर करने वाली कंपनियों का हेल्थ इंश्योरेंस लेना बेहतर होता है। इससे ज्यादा बड़े नेटवर्क में आपको इलाज करवाने की सुविधा मिलती है और आसानी से कैशलेस ट्रांजैक्शंस की तरफ बढ़ा जा सकता है।
कितना बड़ा हो नेटवर्क8000 से ज्यादा अस्पताल अच्छा
5000-8000 के बीच ठीक-ठाक
5000 से कम हॉस्पिटल पॉलिसी नहीं लें
3. ट्रैक रेकॉर्ड
अगर बीमा कंपनी का बीते 10 साल का या इससे ज्यादा का ट्रैक रिकॉर्ड मौजूद है, तो बेहतर है। ट्रैक रिकॉर्ड का मतलब कंपनी की वर्किंग हिस्ट्री से है। यानी अतीत में कितना सेटलमेंट किया, सेटलमेंट में कितना अमाउंट दिया, किन चीजों पर सेटलमेंट नहीं दिया और भी ऐसी ही जानकारी।
क्या हो पैमाना10 साल से ज्यादा अच्छा
05 से 10 साल ठीक-ठाक
05 साल से कम पॉलिसी नहीं लें
4. अच्छा आईसीआर जरूरी
इंश्योरेंस कंपनी की ओर से कुल कलेक्ट किए गए प्रीमियम के अनुपात में जितना पैसा क्लेम के तहत दिया गया’ है, उसे कंपनी का इंकर्ड क्लेम रेश्यो यानी आइसीआर कहते हैं। किसी इंश्योरेंस कंपनी का आइसीआर यदि 55 %-75% या इससे ज्यादा है तो उस कंपनी का बीमा खरीद सकते हैं। अधिक क्लेम देने के साथ कंपनी को भी मुनाफा होना लॉन्ग टर्म के लिए अच्छा होता है।
5. कम शिकायतें
बीमा कंपनी को लेकर ग्राहकों की शिकायतें जितनी कम हो, उतना अच्छा है। कंपनी के खिलाफ पिछले 3 साल में हुई शिकायतों और उसके निपटान का ब्योरा बीमी कराने से पहले जरूर देखें।
पॉलिसी में कैसे फीचर्स होने चाहिए?
कैशलेस हेल्थ इंश्योरेंस: इससे बीमाधारक को मेडिकल बिल का भुगतान नहीं करना पड़ता। बीमा कंपनी सीधे अस्पताल के बिलों का भुगतान करती है। नो रूम रेंट लिमिट: अच्छी पॉलिसी वह है जिसमें हैं, जिनमें रूम रेंट की कैपिंग यानी लिमिट नहीं हो। या फिर लिमिट जितना ज्यादा होगा, उतना बेहतर। को-पे न हो: कुछ खास बीमारियों में इंश्योरेंस कंपनियां लिमिट लगाती है। बेहतर पॉलिसी वह है जिनमें सब लिमिट ना हो। साथ ही को-पे भी नहीं होना चाहिए। फॉलोअप ट्रीटमेंट: यह किसी बीमारी का इलाज खत्म होने के बाद समय-समय पर दी जाने वाली देखभाल है। अच्छी पॉलिसी में इसका भी भुगतान होता है।
डे केयर: पॉलिसी में डे केयर उन बीमारियों को लिए होता हैं, जिनमें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होती है। जिन पॉलिसीज में यह है, वे बेहतर हैं। ये भी हो: पॉलिसी में फ्री एनुअल चेकअप, वेलनेस प्रोग्राम, रीस्टोरेशन बेनिफिट, लॉयल्टी बेनिफिट वाले फीचर्स भी होना चाहिए।