विश्व के आधे से अधिक कंटेंट निर्माता पुरुष
क्रिएटर्स इकोनॉमी वैसे तो निकट भविष्य में किसी शीर्ष उद्योग को पछाड़ने नहीं वाली लेकिन बढ़ता बाजार इस बात का मजबूत संकेत है कि यह उद्योग मुख्यधारा में आ गया है। अनुमान के अनुसार इस वर्ष ब्रांड्स प्रभावशाली मार्केटिंग पर छह अरब डॉलर तक खर्च करेंगें। यह एक बड़ी राशि है, खासकर ऐसे समय में जब मार्केटिंग बजट में हर तरफ से कटौती हो रही है। विश्व के आधे से अधिक (52%) क्रिएटर्स पुरुष हैं। अधिकांश क्रिएटर्स मिलेनियल्स (1980 से 2000 के बीच पैदा हुए) हैं जो 41 प्रतिशत हिस्सेदारी का प्रतिनिधित्व करते हैं।
सैंकड़ों फीसदी है भारत में क्रिएटर्स की वृद्धि दर
भारत भी इस क्रांति का गवाह बन रहा है। देश में इस साल कंटेंट क्रिएटर्स की संख्या अन्य देशों को पछाड़ते हुए 10 करोड़ से अधिक होने की उम्मीद है। इंफ्ल्यूएंसर मार्केटिंग फर्म जेफमो के अनुसार भारत में संगठित इंफ्ल्यूएंसर्स मार्केटिंग क्षेत्र 2024 तक 3,000 करोड़ रुपए का हो जाएगा। जिससे 10 हजार से एक लाख फॉलोअर्स वाले माइक्रो इंफ्ल्यूएंसर्स की आय में 14 फीसदी तक की वृद्धि होगी। क्रिएटर्स इकोनॉमी स्टार्टअप एनिमेटा के मुताबिक वैश्विक स्तर पर क्रिएटर की वार्षिक वृद्धि दर 18 फीसदी है, वहीं भारत में यह 115 प्रतिशत से अधिक है।
डेनमार्क और जापान में ज्यादा प्रभाव नहीं
स्टेटिस्टा के उपभोक्ता सर्वे में पाया गया कि इंफ्ल्यूएंसर्स के प्रति बढ़ती विश्वसनीयता ने क्रिएटर इकोनॉमी को साल दर साल मजबूत किया है। विश्व में ब्राजील, चीन और भारत के लोग अपनी खरीदारी के लिए सबसे ज्यादा सोशल मीडिया इंफ्ल्यूएंसर्स से प्रभावित होते हैं। भारत और ब्राजील में इंफ्ल्यूएंसर्स वर्ग जहां बड़ा होता जा रहा है। वहीं चीन में इसमें थोड़ी कमी आई है। डेनमार्क और जापान ऐसे देश हैं, जहां क्रिएटर्स को कम फॉलो किया जाता है। जबकि यूरोप में इटली के लोग इंफ्ल्यूएंसर्स से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
विश्व में कंटेंट क्रिएटर्स
– 4.9 अरब सोशल मीडिया यूजर्स हैं विश्व स्तर पर
– 20 करोड़ कंटेंट क्रिएटर्स हैं दुनियाभर में
– 02% के हैं एक लाख से अधिक फॉलोअर्स
– 67% क्रिएटर्स के हैं 1,000-10,000 तक फॉलोअर्स
(स्रोत: लिंकट्री)