scriptग्राउंड रिपोर्ट : पिछली बार ढहा था सपा का गढ़, अखिलेश के आने से रोचक हुआ मुकाबला | Ground report: Last time SP stronghold had collapsed, the contest became interesting with the arrival of Akhilesh Yadav | Patrika News
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ग्राउंड रिपोर्ट : पिछली बार ढहा था सपा का गढ़, अखिलेश के आने से रोचक हुआ मुकाबला

Lok Sabha Elections 2024 : कन्नौज सबसे हॉट सीट है। इसकी वजह यह है कि यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव यहां से चुनाव मैदान में हैं। अखिलेश यादव पहले भी इस सीट से लगातार तीन बार सांसद रह चुके हैं। पढ़िए फिरोज सैफी की विशेष रिपोर्ट…

नई दिल्लीMay 04, 2024 / 10:06 am

Shaitan Prajapat

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अखिलेश यादव

Lok Sabha Elections 2024 : इत्र नगरी के नाम से मशहूर कन्नौज लोकसभा सीट इन दिनों उत्तरप्रदेश ही नहीं, बल्कि देशभर में चर्चा का विषय है। तीसरे चरण में जिन 10 लोकसभा सीटों पर 7 मई को मतदान होना है, उनमें कन्नौज सबसे हॉट सीट है। इसकी वजह यह है कि यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव यहां से चुनाव मैदान में हैं। अखिलेश यादव पहले भी इस सीट से लगातार तीन बार सांसद रह चुके हैं। दिलचस्प बात यह भी है कि समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया भी यहां से एक बार सांसद रह चुके हैं। 1998 से लेकर 2014 तक लगातार इस सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है। इस लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिनमें कन्नौज सदर, छिबरामऊ, तिर्वा, रसूलाबाद और बिधूना है।

गढ़ बचाने के लिए अखिलेश खुद मैदान में

इस बार अपने गढ़ को बचाने के लिए अखिलेश यादव को खुद चुनाव में उतरना पड़ा है। वहीं भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद सुब्रत पाठक पर दांव खेला है। पिछले चुनाव में अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को यहां पर हार का सामना करना पड़ा था। वहीं बहुजन समाज पार्टी ने इमरान जफर को चुनाव मैदान में उतारकर अल्पसंख्यक और दलित वोटों में सेंधमारी का प्रयास किया है।

अखिलेश के आने से मुकाबल हुआ कड़ा

कन्नौज के मतदाताओं में यहां हो रहे चुनाव को लेकर क्या उत्सुकता है, यही जानने के लिए मैं मैनपुरी से कन्नौज के लिए बस से रवाना हुआ। करीब 2 घंटे के सफर के बाद कन्नौज बस स्टैंड पर पहुंचा। जहां पर बस का इंतजार कर रहे ईंट कारोबारी श्याम सिंह से इस सीट का हाल जाना तो उन्होंने कहा कि यहां अखिलेश के आने से मुकाबला कड़ा हो गया है, लेकिन वोट पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर भी पड़ेंगे। इसलिए यहां कांटे की टक्कर होना तय है।

सुब्रत पाठक की भी क्षेत्र में अच्छी पकड़

अखिलेश यादव ने सांसद और मुख्यमंत्री रहते हुए इस क्षेत्र में काफी विकास कार्य कराए हैं। लोग उनके काम को याद करते हैं, लेकिन लोगों में यह भी चर्चा है कि वे चुनाव जीत भी गए तो फिर से इस्तीफा दे सकते हैं। साल 2019 के चुनाव में भी अखिलेश यादव आजमगढ़ से सांसद चुने गए थे। बाद में उन्होंने वहां से इस्तीफा दे दिया था। अखिलेश यादव अभी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। उन्हीं के साथ में खड़े कमलकांत दीक्षित ने कहा कि इस बार के चुनाव में उत्साह नहीं है। ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि यहां से कौन जीतेगा। सुब्रत पाठक की भी क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। ऐसा नहीं कह सकते कि यह सीट इस बार सपा के लिए आसान होगी।

कन्नौज में रोचक होगा मुकाबला

कन्नौज रेलवे स्टेशन के पास सरायमीरा इलाके में चाय की दुकान करने वाले घनश्याम राठौड़ का कहना है कि वे भाजपा को वोट देते आए हैं, लेकिन कन्नौज में तो समाजवादी पार्टी ही चुनाव जीतेगी। अखिलेश ने मुख्यमंत्री रहते हुए यहां पर विकास के खूब काम कराए हैं। भाजपा के जो मौजूदा सांसद हैं, उन्होंने 5 साल कोई काम नहीं किया। उनको लेकर लोगों में आक्रोश है। उनका कहना है कि अगर अखिलेश की जगह सपा से कोई दूसरा उम्मीदवार होता तो भाजपा के लिए आसानी होती। लेकिन अखिलेश के चुनाव मैदान में आने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है।
इत्र व्यवसायी मोहम्मद शानू ने कहा कि कौन किसको वोट करेगा कुछ नहीं कह सकते हैं। अगर अखिलेश यादव के काम पर वोट पड़े तो समाजवादी पार्टी जीतेगी और पीएम मोदी के नाम पर वोट पड़े तो फिर भाजपा ही जीतेगी।
इत्र की दुकान चलाने वाले अनमोल तिवारी ने कहा कि युवा तो अखिलेश यादव के साथ हैं अखिलेश ने खूब काम कराए हैं, यहां राम मंदिर, धारा 370, कॉमन सिविल कोड जैसे मुद्दों पर जनता वोट करने वाली नहीं है। लोगों के सामने रोजगार सबसे बड़ी समस्या है और जो रोजगार की बात करेगा, उसे ही वोट करेंगे। कन्नौज के मेहंदी घाट गांव के निवासी मनीष शर्मा ने कहा कि यूपी सरकार के राज में कानून व्यवस्था बेहतर है, इसलिए वोट बीजेपी को ही देंगे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि प्रत्याशी कौन है। कन्नौज शहर से सटे जसौली और हाजीगंज के गांवों में एक वर्ग के लोगों ने खुलकर तो बात नहीं की, लेकिन बातों से स्पष्ट है कि जो भाजपा को हराएगा उसे वोट करेंगे। हालांकि इस सीट पर किसी एक जाति की बहुलता नहीं है। यहां यादव, दलित, शाक्य, राजपूत और ब्राह्ममण और मुस्लिम मतदाता बराबर हैं।

सपा एमवाइ फॉर्मूले के सहारे

समाजवादी के पार्टी के तमाम कद्दावर नेताओं ने यहां डेरा डाल रखा है, घर-घर जाकर लोगों से वोट की अपील की जा रही है। सपा के शासन में कराए गए विकास कार्यों को गिनाकर सपा के नेता जनता से वोट मांग रहे हैं। हालांकि यहां सपा को अपने एमवाइ (मुस्लिम-यादव) फार्मूले पर भरोसा है। वहीं भाजपा राज्य और केंद्र सरकार के कामकाज, बेहतर कानून व्यवस्था और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर वोट मांग रही है।

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