इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर आपको एक वित्त वर्ष में 50,000 रुपये तक के उपहार मिलते हैं तो इस पर आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा। हां, अगर गिफ्ट की कीमत 50 हजार के सीमा को जैसे ही क्रॉस करती है तो पूरे कीमत पर टैक्स देना होगा। माना आपको एक वित्त वर्ष में 60 हजार रुपये के उपहार मिले तो 60 हजार रुपये आपकी आय में जोड़ लिए जाएंगे और इनपर टैक्स लगाया जाएगा।
खून के रिश्तों से मिले उपहार के लिए क्या कहता है कानून: हालांकि, इनमें भी कुछ अपवाद हैं। कुछ मामलों में 50,000 रुपये अधिक कीमत के उपहार भी टैक्स फ्री होते हैं। इनमें कुछ खास रिश्तेदारों से मिले उपहार आते हैं, जैसे एक पिता अपने बेटे को या एक बेटा अपने पिता को कितनी भी राशि का उपहार दे सकते हैं। ये उपहार कर के दायरे में नहीं आते हैंI इनमें रिश्तेदारों से मिलने वाले उपहार टैक्स छूट के दायरे में आते हैं। पति, पत्नी, भाई, बहन, पति और पत्नी के भाई-बहन समेत खून के रिश्ते वालों से मिलने वाला उपहार भी टैक्स छूट के दायरे में आता है। विवाह के मौके पर प्राप्त उपहारों पर कोई टैक्स देनदारी नहीं बनती है चाहे वह किसी संबंधी से प्राप्त हुआ हो या गैर-संबंधी से।
सालाना आधार पर वसूला जाता है टैक्स: तोहफे पर लगने वाला आयकर किसी एक गिफ्ट पर नहीं लगता है, बल्कि यह एक वित्त वर्ष में मिले कुल गिफ्ट पर लगता है। यानी अगर साल भर में आपको 50 हजार रुपये से अधिक का गिफ्ट मिला है तो आपको इनकम टैक्स चुकाना होगा। ऐसा नहीं होगा कि अगर आपको एक गिफ्ट 51 हजार का मिला है तो उस पर टैक्स लगेगा और दूसरा गिफ्ट अगर 40 हजार रुपये का है तो उस पर टैक्स नहीं लगेगा। ऐसी स्थिति में आपको पूरे 91 हजार के गिफ्ट पर टैक्स चुकाना होगा।