गोवा मुक्ति दिवस 2023
गोवा मुक्ति दिवस बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पुर्तगाली औपनिवेशिक शासन के सदियों के बाद 1961 में गोवा की आधिकारिक मुक्ति और भारतीय संघ में एकीकरण का प्रतीक है। हर साल 19 दिसंबर को मनाया जाने वाला गोवा मुक्ति दिवस 1961 का वह दिन है जब भारतीय सेना ने राज्य को 450 साल के पुर्तगाली शासन से मुक्त कराया था। पुर्तगालियों से आजाद होने के बाद गोवा में चुनाव हुए। 20 दिसंबर, 1962 को दयानंद भंडारकर गोवा के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री चुने गए।
गोवा मुक्ति दिवस का इतिहास
गोवा, दमन और दीव मुक्ति दिवस मंगलवार, 19 दिसंबर को बहुत धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन 1961 में भारतीय सेना ने गोवा पर कब्जा कर लिया था, जो लगभग 451 वर्षों तक पुर्तगाली शासन के अधीन था। आजादी के बाद गोवा को भारत का हिस्सा बनाने में 14 साल का समय लगा। पुर्तगालियों से आजाद होने के लिए गोवा में संघर्ष 19वीं शताब्दी में शुरू हो गया था। डॉ.टी.बी.कुन्हा की अध्यक्षता में साल 1928 में मुंबई में ‘गोवा कांग्रेस समिति’ का गठन किया था। इन्हें गोवा के राष्ट्रवाद का जनक माना जाता है। 1946 में प्रमुख समाजवादी नेता डॉ.राम मनोहर लोहिया जब गोवा पहुंचे और आंदोलन को नई दिशा दी।
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36 घंटे तक लगातार चला युद्ध
18 दिसंबर, 1961 को ऑपरेशन विजय के तहत भारतीय सेना (जल, थल एवं नभ) ने गोवा में प्रवेश कर 450 साल की गुलामी से आजादी दिलाई। इसको ‘ऑपरेशन विजय’ का नाम दिया गया। भारतीय सेना और पुर्तगाल के बीच 36 घंटे तक लगातार युद्ध हुआ। वायु सेना ने पुर्तगालियों के ठिकाने पर अचूक बमबारी की। अंत में पुर्तगाल ने भारत के सामने घुटने टेक दिए। 19 दिसंबर 1961 की रात साढ़े आठ बजे पुर्तगाल के गवर्नर जनरल मैन्यु आंतोनियो सिल्वा ने समर्पण सन्धि पर हस्ताक्षर कर दिए।