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Chandrayaan-3 भारत का मून मिशन सोमयान कैसे बना चंद्रयान? अटल बिहारी वाजपेयी से है कनेक्शन

Chandrayaan-3 Mission Soft Landing: इसरो अपने मून मिशन चंद्रयान-3 के जरिए चंद्रमा के उस दक्षिणी ध्रुव की सतह पर फतह हासिल करेगा, जहां इससे पहले दुनिया के किसी भी देश को उपग्रह उतारने में सफलता नहीं मिली।

Aug 23, 2023 / 04:59 pm

Jyoti Singh

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Chandrayaan-3 anding ISRO india Mission: भारत का मून मिशन चंद्रयान-3 अपने अंतिम पड़ाव में है। आज बुधवार शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग होगी। जिसे लेकर देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी उत्सुकता बनी हुई है। इसरो चंद्रमा के उस दक्षिणी ध्रुव की सतह पर फतह हासिल करेगा, जहां इससे पहले दुनिया के किसी भी देश को उपग्रह उतारने में सफलता नहीं मिली। लेकिन क्या आपको पता है कि जिस चंद्रयान-3 पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं, उस मिशन का नाम शुरुआत में सोमयान था, जिसे बाद में बदलकर चंद्रयान कर दिया गया।

 

डेकन क्रॉनिकल के मुताबिक, 1999 में जब चंद्र मिशन को मंजूरी दी गई थी उस समय भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। वाजपेयी ने ही अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को चंद्रमा पर खोज करने के लिए प्रेरित किया था। जिाके बाद चांद पर मिशन की तैयारी की गई। रिपोर्ट की मानें तो अटल बिहारी वाजपेयी ने जब सोमयान की जगह चंद्रयान नाम का सुझाव दिया तो वैज्ञानिक समुदाय को यह खास पसंद नहीं आया।

दरअसल, सोमयान नाम एक संस्कृत श्लोक से प्रेरित था। संस्कृति में चंद्रमा का ही दूसरा नाम सोम है। उस समय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के तत्कालीन अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन ने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि मिशन को सोमयान नहीं, बल्कि चंद्रयान कहना चाहिए। उन्होंने बताया कि वाजपेयी ने कहा था कि देश आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा है और मिशन आगे चंद्रमा पर कई खोजपूर्ण यात्राएं करेगा।

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ISRO के मुताबिक, चंद्र मिशन की अवधारणा 1999 में भारतीय विज्ञान अकादमी में चर्चा से आई और 2000 में एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया में आगे की बातचीत हुई। के. कस्तूरीरंगन ने बताया कि मिशन की योजना बनाने में 4 साल और लागू करने में करीब 4 साल लगे।

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