भारत के राजनेताओं, सरकारी अधिकारियों और उनके परिवारों के बैंक खातों पर कड़ी नजर रखे जाने की जरूरत है। इनके बैंक खातों की जांच पड़ताल की प्रक्रिया में सुधार किया जाना चाहिए। यह सिफारिशें वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग निगरानी संस्था एफएटीएफ की ओर से सरकार के साथ साझा की गई एक रिपोर्ट में की गई हैं। राजनेताओं की वित्तीय जांच की सिफारिश एफएटीएफ की समीक्षा का हिस्सा है। एफएटीएफ जल्द ही इस संबंध में अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रकाशित करेगा।
भ्रष्टाचार के मामलों में संलिप्त रहने की आशंका एफएटीएफ के वैश्विक नियमों के मुताबिक पीईपी (पॉलिटिकली एक्सपोज्ड पर्सन), उनके परिवार और करीबी सहयोगियों की ओर से रिश्वत और भ्रष्टाचार के मामलों में संलिप्त रहने की आशंका अधिक रहती है। ऐसे में उनके बैंक खातों की जांच जरूरी है। रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसे लोगों या उनके परिवारों के लिए किसी भी नए खाते की मंजूरी बैंक के शीर्ष प्रबंधकों की ओर से दी जानी चाहिए। वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि देश में कुछ क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है। इन क्षेत्रों में सुधार किया जाएगा।
40 में से तीन मानकों को पालन नहीं एएटीएफ का कहना है कि मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में भारत ने 40 में से 37 मानकों को बड़े पैमाने पर अनुपालन किया है। वहीं तीन मानकों का पालन नहीं किया। इनमें घरेलू राजनीतिक हस्तियों की बैंक जांच, गैर-लाभकारी संगठनों की वित्तीय निगरानी और गैर-वित्तीय व्यवसायों व पेशेवरों की वित्तीय निगरानी शामिल है।
सरकार को था रिपोर्ट का इंतजार पिछले दिसंबर में आम चुनाव से पहले सरकार ने संसद को बताया था कि वह घरेलू राजनीतिक शख्सियतों को सख्त बैंकिंग जांच के दायरे में लाने का इरादा नहीं रखती है। उस दौरान सरकार ने यह भी कहा था कि वह कोई भी बदलाव करने से पहले एफएटीएफ की रिपोर्ट का इंतजार करेगी। हालांकि एफएटीएफ ने जून में कहा था कि भारत धनशोधन रोधी कानूनों को लागू करने के मामले में उच्च स्तर की जांच प्रक्रिया का पालन करने लगा है। उस समय सरकार ने एफएटीएफ के मूल्यांकन को उत्कृष्ट बताया गया था। सिंगापुर में एफएटीएफ की जून में हुई बैठक में एक अंतरिम रिपोर्ट पर चर्चा की गई थी। इसमें भारत को धनशोधन और आतंकवादी वित्तपोषण से जुड़े मामलों के अभियोजन में तेजी लाने की सलाह दी थी