इस दौरान एक प्रदर्शनकारी शुभ करण सिंह जख्मी हो गया। किसानों का कहना है कि उसकी अस्पताल में मौत हो गई, जबकि पुलिस ने इससे इनकार किया है। पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों के साथ झड़प में एक किसान और दो पुलिस वाले घायल हुए। तीनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उधर, मुजफ्फरनगर में धरना दे रहे एक किसान ने आत्मदाह का प्रयास किया, जिसे जख्मी हालात में अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एसएसपी) की गारंटी के लिए कानून बनाने की मांग कर रहे किसानों को पंजाब और हरियाणा की सीमा पर रोक दिया गया है। किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि वार्ता के नए प्रस्ताव पर सोच-विचार कर कोई टिप्पणी की जाएगी। उन्होंने कहा कि खनौरी बॉर्डर पर हुई घटना पर भी हम चर्चा करेंगे और आगे की रणनीति बनाएंगे। किसानों की अब तक सरकार से चार बार वार्ता हुई, सभी बेनतीजा रहीं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने किसान की मौत को बेहद पीड़ादायक बताया और कहा, ‘जब नहीं बचेगी, किसानों की जान… तो कैसे ख़ामोश रहेगा हिन्दुस्तान ?’
शंभू बॉर्डर के हालात के बारे में इंटेलिजेंस रिपोर्ट के इनपुट के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय अलर्ट है। रिपोर्ट के मुताबिक शंभू बॉर्डर पर जमा किसानों के पास ऐसे संसाधन मौजूद हैं, जिनकी मदद से पुलिस का मुकाबला किया जा सकता है। इस बार किसान अपने साथ गैस मास्क, बुलडोजर और भारी मशीनें लेकर आए हैं। हरियाणा पुलिस ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि इन मशीनों का इस्तेमाल सुरक्षा बलों को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जा सकता है, जो गैर-जमानती अपराध है। पुलिस ने चेतावनी दी कि पोकलेन और जेसीबी के मालिक और संचालक प्रदर्शनकारियों को अपने उपकरण न दें।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने बुधवार को किसानों के विरोध मार्च से संबंधित एक मामले को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया। मामले को 29 फरवरी तक स्थगित कर दिया गया। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) सत्यपाल जैन और हरियाणा के महाधिवक्ता बलदेव राज महाजन ने इस मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की, क्योंकि किसानों ने दिल्ली मार्च फिर शुरू कर दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जी.एस. संधावालिया और न्यायमूर्ति लपिता बनर्जी की खंडपीठ ने कहा कि किसानों के आंदोलन को रोकने के लिए तत्काल कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।