धारा 13 के तहत करें कार्रवाई
आगे कहा गया, “कानून प्रवर्तन एजेंसियों का समर्थन, डीप फेक और प्रीडेटर्स का पता लगाने के लिए उपकरण, पीड़ित की गोपनीयता को बरकरार रखने के लिए जरूरी उपाय, लापता और शोषित बच्चों के लिए राष्ट्रीय केंद्र (एनसीएमईसी) को रिपोर्ट करने के लिए मानकों के पालन पर भी सहमति बनी है।“ राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सीपीसीआर अधिनियम, 2005 की धारा 13 के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को आवश्यक कार्रवाई के लिए कुछ सिफारिशें भी की हैं। उन्होंने कहा, “सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को नाबालिगों के साथ अनुबंध करने की अनुमति उनके माता-पिता या कानूनी अभिभावकों से सहमति मिलने के बाद दी जानी चाहिए।
एडल्ट सामग्री दिखाने से पहले जारी करें डिस्क्लेमर
साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को पॉक्सो अधिनियम की धारा 11 और किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 का हवाला देते हुए किसी भी एडल्ट सामग्री को दिखाने से पहले अंग्रेजी, हिंदी और स्थानीय या क्षेत्रीय भाषाओं में डिस्क्लेमर जारी करना चाहिए। इनमें माता-पिता को चेतावनी दी जानी चाहिए कि यदि बच्चा उपरोक्त कानूनी प्रावधानों के तहत एडल्ट सामग्री देखता है तो उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।“ बयान में आगे कहा गया, “एनसीएमईसी के साथ एक डाटा को साझा करें, जिसके तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जनवरी 2024 से जून 2024 की अवधि के लिए नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रन (एनसीएमईसी) को प्रस्तुत किए गए कुल केसों का डाटा मुहैया कराएं। इसके साथ ही इन सिफारिशों को सुनिश्चित करने के लिए पत्र के जारी होने के 7 दिनों के भीतर आयोग को एक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।“