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EPFO के इस कदम से होगी बल्ले बल्ले, NPS टैक्स में मिलेगी 12 फीसदी तक छूट!

पेंशन फंड नियामक पीएफआरडीए ने भी इसी साल सरकार से यह टैक्स छूट देने की सिफारिश की है। नियामक का कहना है कि टैक्स के मामले में ईपीएफओ की तरह ही एनपीएस में योगदान देने वाली कंपनियों और नियोक्ताओं के लिए समान अवसर होने चाहिए।

नई दिल्लीJul 09, 2024 / 09:00 am

Anand Mani Tripathi

केंद्र सरकार पूर्ण बजट में राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) सब्सक्राइबर्स को राहत देने के लिए कई रियायती घोषणाएं कर सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को एनपीएस योगदान पर टैक्स छूट सीमा को बढ़ाकर 12% कर सकती हैं, जो अभी 10% है। पेंशन फंड नियामक पीएफआरडीए ने भी इसी साल सरकार से यह टैक्स छूट देने की सिफारिश की है। नियामक का कहना है कि टैक्स के मामले में ईपीएफओ की तरह ही एनपीएस में योगदान देने वाली कंपनियों और नियोक्ताओं के लिए समान अवसर होने चाहिए। एनपीएस में मूल वेतन और महंगाई भत्ते पर 10% की टैक्स छूट दी जाती है, जबकि ईपीएफओ के मामले में यह 12% है। वहीं, सरकारी कर्मचारियों के मामले में यह सीमा 14 फीसदी है।

यहां भी राहत संभव

सरकार पीएफआरडीए के इस प्रस्ताव पर विचार कर सकती है। इसके अलावा वर्तमान में धारा 80सीसीडी (1बी) के तहत 50,000 रुपए के स्वैच्छिक योगदान के संबंध में अतिरिक्त कटौती केवल पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत ही दी जाती है। सरकार नई टैक्स रिजीम में भी 50,000 रुपए का अतिरिक्त कटौती की अनुमति देने पर विचार कर सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे सरकार के दो उद्देश्य पूरे होंगे। टैक्सपेयर्स को नई टैक्स व्यवस्था के तहत अतिरिक्त कटौती का फायदा मिलगा। साथ ही न्यू टैक्स रिजीम को बढ़ावा देने के सरकार के उद्देश्य के अनुरूप सेवानिवृत्ति योजना में अधिक निवेश होगा।

निजी कर्मचारियों को होगा फायदा

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि सरकार एनपीएस में नियोक्ता के योगदान की सीमा बढ़ाकर 12त्न कर देती है तो इससे निजी क्षेत्रों के कर्मचारियों और सरकारी कर्मियों के बीच फर्क खत्म हो जाएगा। इससे निजी कर्मचारियों के लिए भी सेवानिवृत्ति तक अच्छा फंड तैयार करने का रास्ता खुल जाएगा।

गठबंधन सरकार की दिशा बताएगा बजट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार बनी एनडीए सरकार 23 जुलाई को पेश होने वाले बजट में मोदी गारंटी की छाप होगी। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा की ओर से मोदी गारंटी के रूप में किए गए वादों को पूरा करने के लिए इस बजट में व्यवस्था होगी। भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले अप्रेल में मेनिफेस्टो जारी कर समाज के विभिन्न वर्गों के लिए घोषणाएं की थीं। सूत्रों का कहना है कि पहले बजट में ही इनमें से प्रमुख वादों को पूरा करने के लिए मोदी सरकार तीसरे कार्यकाल के पहले बजट में घोषणाएं कर सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट एनडीए की गठबंधन सरकार की आने वाले समय की दिशा और दशा बताएगा।

कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च बढ़ेगा: गोल्डमैन सैश

ग्लोबल रेटिंग एजेंसी और इन्वेस्टमेंट फर्म गोल्डमैन सैश ने कहा, मोदी सरकार के नए बजट में कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च की ओर झुकाव तो रहेगा, लेकिन इसके साथ ही ज्यादा रोजगार पैदा करने और खेती-बाड़ी से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी खास ध्यान दिया जाएगा। बजट में टैक्सटाइल्स, रेडिमेड गारमेंट और दूसरे रोजगार को बढ़ावा देने वाली मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों को बढ़ाने पर जोर होगा। बजट में टैक्सी, ट्रक और तिपहिया वाहनों के ड्राइवरों समेत असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए बीमा की सुविधा देने के मकसद से कोई नई योजना भी पेश की जा सकती है। गोल्डमैन सैश का मानना है कि बजट में मोदी सरकार ग्रोथ और वेलफेयर के बीच संतुलन बनाकर चलने की कोशिश करेगी।

एमएसएमई पर ध्यान

बजट में सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार वाले उद्योगों (एमएसएमई) के लिए कर्ज की सुविधाएं और अन्य आर्थिक सहयोग बढ़ाए जाने की उम्मीद है, क्योंकि ये उद्योग रोजगार पैदा करने और आर्थिक स्थिरता के लिए काफी अहम हैं।

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