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Emergency: देश में अब तक कितनी बार लगी इमरजेंसी, आपातकाल में क्यों बढ़ जाती है केंद्र की शक्तियां

Emergency: भारत में राष्ट्रीय आपातकाल लगाना शासन की एक असाधारण स्थिति है, जिसे संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत घोषित किया जाता है।

नई दिल्लीJul 13, 2024 / 11:07 am

Shaitan Prajapat

Emergency: भारत में राष्ट्रीय आपातकाल लगाना शासन की एक असाधारण स्थिति है, जिसे संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत घोषित किया जाता है। यह देश पर बाहरी या आंतरिक कारणों से असाधारण स्थिति में लगाया जा सकता है। हालांकि 1978 में संविधान के 44वें संशोधन में आंतरिक अशांति को हटा कर सिर्फ युद्ध या विदेशी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में ही आपातकाल लागू करने का प्रावधान किया गया।

आपातकाल में बढ़ जाती है केंद्र की शक्तियां

आपातकाल में में केंद्र सरकार को व्यापक अधिकार प्राप्त हो जाते हैं। देश की सामान्य प्रशासनिक और संवैधानिक प्रक्रियाएं अस्थायी रूप से बदल जाती है।
मौलिक अधिकारः नागरिकों के मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है।
प्रशासनिक कार्यः संसद में कानून बनाने और प्रशासनिक फैसले लेने की प्रक्रिया तेज हो जाती है।
संसद का कार्यकाल: संसद के कार्यकाल को एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।
न्यायिक समीक्षा: आपातकाल के दौरान न्यायिक समीक्षा सीमित हो जाती है।

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याद रहेगा इंदिरा का संबोधन

26 जून, 1975 की सुबह रेडियो पर राष्ट्र के नाम अपने संदेश में तत्तकालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा कि देश में जिस तरह का माहौल (सेना, पुलिस और अधिकारियों को भड़काना) एक व्यक्ति (जयप्रकाश नारायण) के द्वारा बनाया गया है, उसमें यह जरूरी हो गया है कि देश में आपातकाल लगाया जाए ताकि देश की एकता और अखंडता की रक्षा की जा सके।

इंदिरा ने क्यों लगाया था आपातकाल

1971 के आम चुनाव में यूपी की रायबरेली लोकसभा सीट से इंदिरा गांधी ने प्रसिद्ध समाजवादी नेता राजनारायण को एक लाख से अधिक वोटों से हराया था। लेकिन राजनारायण ने इंदिरा की जीत को इलाहाबाद हाई कोर्ट में यह कहकर चुनौती दी थी कि चुनाव में सरकारी मशीननरी का दुरुपयोग किया गया। अदालत ने इसे सही माना और इंदिरा गांधी की जीत को रद्द कर दिया। इसके बाद उनके समक्ष इस्तीफा देने के अतिरिक्त कोई रास्ता नहीं बचा था। इंदिरा ने इस्तीफा देने से बचने के लिए आपातकाल लगा दिया था। इसके विरोध में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में देशव्यापी आंदोलन हुआ। आखिरकार 1977 में इंदिरा को फिर चुनाव कराना पड़ा, जिसमें कांग्रेस की करारी हार हुई।

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