क्यों मनाई जाती है दीवाली
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीराम ने रावण का वध करने के बाद कार्तिक अमावस्या के दिन सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे। भगवान राम के अयोध्या वापस लौटने की खुशी में उनके स्वागत में लोगों ने दीप जलाकर दीवाली मनाई थी। तब से ही हर साल कार्तिक अमावस्या के दिन दीवाली का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
दीवाली के दिन हुई थी केरल के राजा की मौत
मान्यता है कि केरल (Kerala) के राजा और असुर महाबली की दीवाली के दिन मौत हुई थी। यहां पर असुर महाबली के पूजा करने की परंपरा रही है। लेकिन दीवाली के दिन असुर महाबली की मौत होने के कारण इस पर्व को लोग धूमधाम से नहीं मनाते है। वहीं एक और मान्यता है कि तमिलनाडु के भी कुछ जगहों पर दीवाली का पर्व धूमधाम से नहीं मनाया जाता है। वहां पर लोग नरक चतुर्दशी का त्योहार धूमधाम से मनाते हैं और मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्म ने कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरकासुर राक्षस का वध किया था। इस दिन को लोग छोटी दीवाली के रूप में मनाते है।
मौसम के कारण भी नहीं मना पाते दीवाली
दरअसल, केरल में दीवाली सेलिब्रेट नहीं करने का एक बड़ा कारण मौसम भी है। उत्तर भारत के हिस्से में मानसून खत्म होने और सर्दी की शुरुआत होने पर दीवाली को मनाया जाता है। लेकिन केरल में ऐसा नहीं होता है, क्योंकि यहां पर न तो सर्दी की इस तरह शुरुआत होती है और न ही मानसून खत्म होता है। बारिश के कारण यहां न तो दीये जलाए जाते हैं और न ही पटाखे फोड़े जाते हैं। इस तरह यहां धूमधाम से दीवाली नहीं मनाने की एक वजह बारिश भी बताई जाती है।
धार्मिक मान्यताओं का है असर
दरअसल, उत्तर भारत में भगवान श्रीराम की पूजा करने का ज्यादा रिवाज है तो वहीं केरल में श्रीकृष्ण की पूजा अधिक की जाती है। इस अंतर के कारण भी वहां पर लोग दीवाली का त्योहार बड़े धूमधाम से नहीं मनाते हैं।