दिल्ली एलजी ऑफिस का कहना है कि, उपराज्यपाल ने बृहस्पतिवार रात फाइल पर हस्ताक्षर कर दिए थे। शुक्रवार सुबह फाइल मुख्यमंत्री को भेज दी गई है। उसके बाद भी ऊर्जा मंत्री आतिशी ने प्रेस वार्ता कर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की है। सरकार ने पलटवार करते हुए कहा है कि, आतिशी द्वारा मुद्दा उठाने के बाद फाइल को मंजूरी दी गई है।
प्रेस वार्ता में ऊर्जा मंत्री आतिशी ने कहा कि, जनता द्वारा चुनी हुई अरविंद केजरीवाल सरकार दिल्लीवासियों को प्रति माह दो सौ यूनिट तक मुफ्त और 201 से चार सौ यूनिट तक 50 प्रतिशत सब्सिडी देती है। वकीलों, किसानों और 1984 के सिख विरोधी दंगे के पीड़ित परिवारों को भी बिजली सब्सिडी दी जाती है।
केजरीवाल सरकार ने कैबिनेट में इस वित्त वर्ष भी बिजली सब्सिडी देने का निर्णय लेने के बाद फाइल उपराज्यपाल के पास भेज दी थी। उपराज्यपाल उसे अपने पास रख लिए हैं। फाइल वापस आने के बाद ही सरकार सब्सिडी के लिए फंड जारी कर सकती है। इस संबंध में उपराज्यपाल उनसे मिलने का समय भी नहीं दे रहे हैं।
दिल्ली एलजी ऑफिस ने ऊर्जा मंत्री पर झूठे बयान देकर लोगों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। एलजी ऑफिस से जारी बयान में ऊर्जा मंत्री को उपराज्यपाल के खिलाफ अनावश्यक राजनीति और निराधार आरोप लगाने से बचने की सलाह दी गई है।
कहा गया है कि ऊर्जा मंत्री व मुख्यमंत्री को दिल्ली की जनता को जवाब देना चाहिए कि इस संबंध में फैसला चार अप्रैल तक क्यों लंबित रखा गया, जबकि समय सीमा 15 अप्रैल थी? उपराज्यपाल को 11 अप्रैल को क्यों फाइल भेजी गई? उपराज्यपाल के फाइल मंजूर किए जाने के बाद भी शुक्रवार को प्रेस वार्ता कर यह नाटक क्यों किया जा रहा है?