क्या हैं प्रमुख वजह
-वायु प्रदूषण की मुख्य वजहों में गाड़ियों से निकलने वाला जहरीला धुआं, औद्योगिक धुआं और आसपास के राज्यों में किसानों के पराली जलाने से निकलने वाला धुआं और निर्माण कार्यों के दौरान उठने वाले धूल-कण शामिल हैं।-ऐसा नहीं है कि प्रदूषण के जिम्मेदार कारक सिर्फ सर्दियों में निकलते हैं। दरअसल गर्मियों में हवा के गर्म होने से प्रदूषण के जहरीले कण हवा के साथ ऊपर चले जाते हैं जो सर्दियों में निचली तरह पर जमे रहते हैं।
क्यों नहीं मिल रही सफलता
राजनीति ज्यादा, उपाय कम-वायु प्रदूषण को रोकने के उपायों से ज्यादा राजनीति होने लगती है। इस बार भी दिल्ली के पर्यावरण मंंत्री गोपाल राय ने केंद्र की भाजपा सरकार पर आरोप लगाए तो भाजपा ने दिल्ली सरकार पर नाकामी का ठीकरा फोड़ते हुए मास्क बांटे।
-वायु प्रदूषण रोकने के लिए ग्रैप प्रतिबंध लगाने जैसे उपाय सिर्फ फौरी राहत दे सकते हैं। इससे कोई स्थाई समाधान नहीं होता। हर साल सड़कों पर गाड़ियां बढ़ जाती है। विकास कार्यों के साथ आबादी का दबाव भी महानगरों में बढ़ता है।
-प्रदूषण से बचाने के स्थाई उपायों जैसे हरियाली बढ़ाना, ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देना, उद्योगों को विकेंद्रित करना, आबादी के घनत्व को कम करना, जैसे कारगर उपायों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
-हर साल नवंबर से जनवरी तक प्रदूषण पर हंगामा मचता है और शासन-प्रशासन तैयारी करता दिखता है, लेकिन कुछ दिनों में हवा का रूख बदलने या तेज हवा के कारण थोड़ी राहत मिलते ही सबकुछ पहले जैसा हो जाता है।
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फौरी राहत के कुछ उपाय
- एयर प्यूरिफायर: घर, ऑफिस या वाहन में लगाए जा सकते हैं, लेकिन महंगा होने के कारण सबसे लिए संभव नहीं है।
- मास्क: विशेष रूप से डिजाइन किए गए मास्क। लोगों को कम जानकारी है। कोई भी मास्क कारगर नहीं।
- ग्रीन वॉल: घरों और ऑफिसों में पेड़-पौधे लगाए जा सकते हैं। बड़ी आबादी के पास ऐसे घर नहीं है।
- वेंटिलेशन सिस्टम: घरों और ऑफिसों में हवा की गति को बढ़ाना। सिर्फ अच्छी प्लानिंग वाले घरों-दफ्तरों में ही संभव।
- इलेक्ट्रिक वाहन: पेट्रोल-डीजल वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग। अभी महंगा है और चार्जिंग की सुविधा का अभाव है।
- सोलर पैनल: सौर ऊर्जा का उपयोग करके बिजली पैदा करना। इसके लिए सरकार प्रयास कर रही है। अभी सोलर पैनल मंहगा है।
- प्रदूषण सोखने वाले पेंट: दीवारों पर प्रदूषण सोखने वाले पेंट का उपयोग किया जा सकता है, पर आम लोगों को इसकी जानकारी नहीं है। इसमें खर्च भी ज्यादा होता है।