राहुल गांधी ने लगातार मोदी सरकार पर आरोप लगाए हैं कि वह युवाओं के भविष्य को खतरे में डाल रही है। पेपर लीक के मुद्दे पर उन्होंने सरकार को जमकर घेरा है। दस वर्ष सत्ता से दूर रहने के बाद अब कांग्रेस जर्मनी के ड्यूल एजुकेशन मॉडल को ध्यान में रखकर भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार करने का प्रस्ताव ला रही है।
इस मॉडल में वोकेशनल शिक्षा को महत्व दिया जाता है जो युवाओं को पढ़ाई के साथ-साथ कंपनी में काम करने का मौका भी प्रदान करता है। कांग्रेस के नेता मानते हैं कि यह एक अच्छा प्रस्ताव है जो युवाओं को रोजगार के माध्यम से सशक्त कर सकता है, हालांकि यह लागू करना आसान नहीं होगा क्योंकि इसे प्राइवेट और सरकारी सेक्टर के साथ मिलकर लागू करने की आवश्यकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम की अध्यक्षता में कांग्रेस पार्टी की घोषणापत्र कमेटी जल्द ही अपना काम पूरा करने वाली है। पार्टी के थिंकटैंक का मानना है कि यह मॉडल देश के युवाओं का ध्यान अपनी ओर खींचेगा। राहुल गांधी जिस तेवर में युवाओं से जुड़ी समस्याओं पर मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं उसे देखते हुए संभव है कि घोषणापत्र में ही अप्रेंटिसशिप पीरियड और उसके साथ मिलने वाले स्टाइपेंड के बारे में भी ऐलान किया जाए।
ऐसे में कांग्रेस की सरकार अगर आती है और मेनिफेस्टो लागू किया जाता है तो इस मॉडल के तहत युवा आसानी से नौकरी शुरू कर सकते हैं। यह जॉब के अधिकार की तरह का मॉडल है जिसमें कोई भी अभ्यर्थी एक साल के लिए हक से नौकरी मांग सकता है।
पी चिदंबरम की अध्यक्षता में काम कर रही कमेटी पेपर लीक के मुद्दे को भी नहीं छोड़ना चाहती। इस मामले से युवा सबसे ज्यादा परेशान हैं। लगभग हर राज्य में पेपर लीक पर एक जैसी स्थिति है। युवा कई साल तैयारी करने के बाद पेपर देते हैं लेकिन एग्जाम के दौरान ही या एग्जाम खत्म होने के कुछ देर बाद खबर आ है कि पेपर लीक है। जब इस मुद्दे पर हंगामा होता है तो सरकार किसी कांस्टेबल या छोटे अधिकारी को सस्पेंड कर देती है। इस प्रकार के एक्शन से लगता है कि बस खानापूर्ति की जा रही है।
बड़ी मछली को कोई हाथ भी लगाता। बता दें कि हाल ही में मोदी सरकार ने पेपर लीक को लेकर कड़ा कानून बनाया है ताकि संगठित तरीके से नकल करवाने वालों पर नकेल कसा जा सके। अब इस मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी इससे भी एक कदम आगे जाकर अभ्यर्थियों को मुआवजा देने का भी वादा करने जा रही है।