धारा 370 हटने के बाद पहला चुनाव
4 अक्टूबर को हुई वोटिंग में 77.62 प्रतिशत मतदान हुआ। 25 निर्दलीय उम्मीदवारों सहित कुल 85 उम्मीदवार मैदान में हैं। परिषद चुनावों में, नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और कांग्रेस ने चुनाव पूर्व गठबंधन बनाया। हालाँकि, एनसी ने 17 उम्मीदवार उतारे थे जबकि कांग्रेस ने 22 उम्मीदवार उतारे थे। कारगिल डिवीजन नेशनल कांफ्रेंस का गढ़ रहा है और कांग्रेस विपक्ष के रूप में बनी हुई है। चुनाव पूर्व गठबंधन उन क्षेत्रों तक ही सीमित है जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ कड़ी प्रतिस्पर्धा थी। अनुच्छेद 370 को खत्म करने और पूर्व राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदलने के बाद लद्दाख परिषद चुनावों को भाजपा के लिए लिटमस टेस्ट के रूप में देखा जा रहा है।
किसे कितनी सीट मिली?
26 सीटों वाली लद्दाख परिषद के चुनावों में वोटों की गिनती जारी है। हालांकि, कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बीजेपी को काफी पीछे छोड़ दिया। अभी तक जिन 22 सीटों के नतीजे घोषित किए गए, उनमें से कांग्रेस ने आठ सीटों पर, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 11 सीटों पर जीत हासिल की है। वहीं, बीजेपी ने महज 2 सीटें हासिल की हैं. एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार ने भी जीत दर्ज की है। इसके बाद वोटिंग अधिकार रखने वाले चार सदस्यों को उपराज्यपाल बाद में नामित करेंगे।
फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने दी प्रतिक्रिया
नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने एलएएचडीसी चुनाव को लेकर कहा कि उनकी पार्टी को जीत की पूरी उम्मीद है, लेकिन अभी सभी नतीजों का इंतजार कर लेना चाहिए।
वहीं, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी कारगिल चुनाव पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस जैसी धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को कारगिल में अपनी जीत दर्ज करते देखकर खुशी हो रही है। 2019 के बाद यह पहला चुनाव है और लद्दाख के लोगों ने खुलकर अपना मत जाहिर किया है।
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